सिविल अस्पताल बड़सर में सर्दी में मरीज जमीन पर बैठने को मजबूर

By: Nov 22nd, 2023 12:17 am

अस्पताल प्रबंधन की नाकामी से लोग परेशान , गुहार के बाद भी बीएमओ नहीं कर पाए शामियाने की व्यवस्था

नवनीत सोनी-बड़सर
सिविल अस्पताल बड़सर में अस्पताल प्रबंधन की नाकामी का खामियाजा बीमार बुजुर्ग, महिलाओं व बच्चों को सर्दी के मौसम में घंटों जमीन पर नीचे बैठ कर भुगतना पड़ रहा है। हफ्ते में एक दिन होने वाले अल्ट्रासाउंड के लिए मरीज सुबह नौ बजे से देर शाम तक भूखे पेट जमीन पर नीचे बैठ रहे हैं, लेकिन बार-बार गुहार लगाने के बावजूद संस्थान के मुखिया बीएमओ साहब उनके लिए न तो शामियाने की व्यवस्था कर पाए हैं और न ही बैठने की। अस्पताल में कोई विशेषज्ञ डाक्टर उपलब्ध नहीं है और केवल एमबीबीएस डाक्टरों के सहारे अस्पताल चलाया जा रहा है। वहीं अल्ट्रासाउंड टेस्ट करने के लिए हर सप्ताह मंगलवार का दिन निर्धारित किया गया हैं। डेपुटेशन पर विशेषज्ञ बड़सर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड टेस्ट करते हैं। 21 नवंबर को भी अल्ट्रासाउंड टेस्ट की डेट रखी गई थी ऐसे में लोग सुबह नौ बजे से ही भूखे पेट अपनी बारी के इंतजार में बैठ गए, लेकिन कई बुजुर्ग, महिलाएं, पुरुष और बच्चे जो अस्पताल में अल्ट्रासाउंड टेस्ट करवाने आए थे उनके बैठने के लिए पूरी व्यवस्था अस्पताल प्रशासन की ओर से नहीं की गई थी।

ऐसे में लोगों को अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर कई घंटे सर्दी के मौसम में जमीन पर नीचे बैठकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा। हद तो तब हो गई जब एक 85 वर्ष के बुजुर्ग तक के लिए भी बैठने की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। लोगों का कहना है कि वह बड़े अस्पतालों में महंगे टेस्ट व इलाज करवाने में असमर्थ है। अस्पताल में बिझड़ी, महारल घोड़ी-धबीरी, धगोटा, घंघोट, चकमोह, रैलीजजरी, शाहतलाई, पथल्यार, सलोनी जैसे दूरदराज के मरीज इलाज करवाने के लिए पहुंचते हैं। यही नहीं इस अस्पताल को अब 100 बेड बनाने की बात कही जा रही है, लेकिन वर्तमान में व्यवस्था चौपट है। कुछ दिन पहले ब्लॉक मेडिकल अधिकारी बृजेश शर्मा का कहना था कि अगली बार जब भी अल्ट्रासाउंड के टेस्ट होंगे, तो लोगों के बैठने के लिये उचित प्रबंध कर दिया जाएगा, लेकिन वे कैसा प्रबंध कर पाए हैं। सीएमओ हमीरपुर आरके अग्निहोत्री का कहना है कि सिविल अस्पताल में प्रबंधन की जिम्मेदारी संबंधित बीएमओ की है। विभाग के पास फंड की कोई कमी नहीं है। इसलिए पर्याप्त कुर्सियां खरीदी जा सकती हैं, फिर भी अगर मरीज जमीन पर बैठने को मजबूर हैं, तो इस कुप्रबंधन के लिए बीएमओ से जवाब मांगा जाएगा। (एचडीएम)


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