भाजपा सरकार के समय हुआ 100 करोड़ का खनन घोटाला, मुख्यमंत्री सुक्खू ने पूछा… पढ़ें पूरी खबर

By: Nov 21st, 2023 12:08 am

मुख्यमंत्री सुक्खू ने पूछा, बिना माइनिंग लीज कैसे चल रहे थे 63 स्टोन क्रशर

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — शिमला

हिमाचल में चल रहे स्टोन क्रशर्ज को रेगुलेट करने के मामले में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पूर्व भाजपा सरकार पर बड़ा हमला किया है। अपने सरकारी निवास में मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जब उनकी सरकार ने सिर्फ ब्यास बेसिन के चार जिलों कुल्लू, मंडी, हमीरपुर और कांगड़ा के स्टोन क्रशर की जांच की, तो 131 में से 63 स्टोन क्रशर्ज के पास वैलिड माइनिंग लीज ही नहीं मिली। यह करीब 100 करोड़ का घोटाला है। पूर्व भाजपा सरकार ने इस घोटाले के प्रति आंखें बंद रखीं। उनकी सरकार को, तो अभी 11 महीने ही हुए हैं। बरसात में आई प्राकृतिक आपदा के बाद जब सरकार ने जांच करने का फैसला किया, तो अब ये तथ्य सामने आए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ब्यास बेसिन के चार जिलों के अलावा अब बाकी जिलों में भी स्टोन क्रशर की इस तरह जांच होगी। इसे लेकर उन्होंने उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान से भी चर्चा की है। एक अन्य सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग नई भर्तियों की प्रक्रिया जल्द शुरू करेगा। राज्य सरकार कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट सिस्टम लागू करने जा रही है और इसके लिए भारत सरकार की एक एजेंसी के अलावा टाटा कंसलटेंसी सर्विस से भी बात चल रही है। एक महीने में बातचीत की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। तब तक राज्य चयन आयोग को शुरू करने की बाकी फैसला भी ले लिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं को रोजगार उनकी सरकार की प्राथमिकता है और वन विभाग में करीब 3000 पदों पर वन मित्र भर्ती शुरू कर दी गई है। इसी तरह अन्य विभागों में भी भर्ती की प्रक्रिया अब तेज हो जाएगी। जब तक राज्य चयन आयोग काम करना शुरू नहीं करता, तब तक लोक सेवा आयोग को राज्य सरकार ने पहले ही काम दे रखा है।

जनमंच की तरह नहीं करेंगे फिजूलखर्ची

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने जनमंच के नाम पर सरकारी पैसे की फिजूलखर्ची की और अधिकारियों को लोगों के सामने बेइज्जत किया। उनकी सरकार ऐसा नहीं करेगी, लेकिन लोगों को सेवाएं अच्छी मिलें, यह सुनिश्चित किया जा रहा है। राज्य सरकार ने अपनी पहली इंतकाल अदालत में 76 फीसदी लंबित मामले निपटाए हैं। अब बचे हुए मामलों को निपटने के लिए पहली और दो दिसंबर को राजस्व अदालतों का आयोजन दोबारा से हो रहा है। लंबित इंतकाल के मामले में जीरो पेंडेंसी राज्य सरकार का लक्ष्य है।