अलविदा डाक्टर साहब! जंगली फलों को दुनिया भर में हिट करने के लिए थैंक्स

पुस्तक और धरोहर प्रेमी के निधन से अपूर्णीय क्षति, अनंत सफर पर निकले डाक्टर परमार

स्टाफ रिपोर्टर- मंडी
हिमाचल के जंगली फ लों को पूरी दुनिया में प्रचारित करके इसे लोगों की आर्थिकी से जोडऩे वाले प्रख्यात विज्ञानी डा. चिरंजीत परमार का शुक्रवार सुबह निधन हो गया। वह मंडी शहर के जेल रोड़ के रहने वाले थे। 84 साल के डा. परमार पिछले कुछ समय से पेट के कैंसर से जूझ रहे थे। शुक्रवार को हनुमानघाट मंडी पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद थे। उनके नातिन मेजर शौर्य भान चड्डा ने मुखाग्नि दी। वह अपने पीछे पत्नी और बेटियां छोड़ गए हैं। वह कई संस्थाओं से जुड़े थे। चर्चित बेव साइट फ्रूटीपीडिया के संचालक, रोटरी क्लब के प्रधान, विजय स्कूल ओएसए के आजीवन सदस्य भी रह चुके हैं। डाक्टर चिरंजीत परमार अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फ ल वैज्ञानिक, शोधकर्ता व लेखक थे।

1939 में जन्मे डॉ चिरंजीत परमार ने स्थानीय विजय हाई स्कूल से दसवीं की परीक्षा पास की व कई विद्या संस्थानों में पढक़र फल विज्ञान में पीएचडी की। अपने 54 वर्ष के कार्यकाल में इन्होंने हिमाचल सरकार के बहुत से भारतीय तथा विदेशी विश्वविद्यालय और कई देशी और विदेशी कंपनियों के लिए कार्य किया और दुनिया के लगभग सभी भौगोलिक भागों में कार्य कर चुके हैं। ये अपने काम के लिए सिलसिले में दुनिया के सभी प्रायद्वीपों के 34 देशों की यात्रा कर चुके हैं तथा स्वतंत्र परामर्शदाता के रूप में भी बहुत वर्षों तक कार्य किया हैं। अंतरराष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं व भारत के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में उनके लेख छपते रहे हैं। डॉ परमार ने आईआईटी मंडी के कमांद कैंपस में बतौर कंसलटेंट अपनी सेवाएं देकर बोटेनिकल गार्डन लगवाया है, जिसमें अन्य किस्मों के पेड़ों के साथ पहली बार काफ ल, दाडू, चार किस्मों के आक्खे और लिंगड़, तरडी, दरेघल जैसे लोकप्रिय फ ल और सब्जियों के ब्लॉक भी लगवाए हैं ताकि नए लोग और युवक भी इन पौधों से परिचित हो सकें।