आपदा प्रभावितों के लिए स्वयंसेवी संस्था बनी मसीहा

सीड्स ने पटड़ीघाट और गैहरा पंचायतों में बेघर हुए लोगों के लिए बनाए अस्थायी घर

निजी संवाददाता- पटड़ीघाट
बीते वर्ष हिमाचल प्रदेश में आई भारी बारिश के बाद भूस्खलन से हुई तबाही से मंडी जिला की पटड़ीघाट और गैहरा पंचायतों में बीस गरीब परिवारों की जमीन और मकान ध्वस्त हो गए। भरी बरसात में परिवार सहित स्कूल और लोगों के घरों में आश्रय लेना पड़ा था। सरकार के राहत एवं पुनर्वास नियमों और राजस्व अधिकारियों की रिपोर्ट के चलते ये गरीब और अनुसूचित जाति के लोग सरकार की मदद से वंचित रह गए। मगर ऐसे आड़े वक्त में स्वयंसेवी संस्था सीड्स सस्टेनेबल एन्वायरनमेंट एंड इकोलॉजिकल डेवलपमेंट सोसायटी ने इन गरीब परिवारों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया। संस्था ने अपनी आश्रय इंडिया फल्ड रिस्पांस पहल के माध्यम से प्रभावितों के लिए राहत कार्यों की शुरुआत की। जिसके चलते सीड्स ने मंडी जिला के सरकाघाट उपमंडल की पटड़ीघाट और गैहरा पंचायतों के 20 ऐसे परिवारों की पहचान भी की जो इस तबाही में अपने घरों को ही नहीं बल्कि आजीविका के साधनों को भी खो चुके हैं। सीड्स ने इस सिलसिले में स्थानीय ग्राम प्रधानों और समुदायों के साथ मिलकर गहन आधार पर सर्वे करने के बाद इन जरूरतमंद परिवारों को चुना है जो समाज के हाशिए पर हैं।

संस्था के सह-संस्थापक, डॉ मनु गुप्ता ने बताया कि इन पंचायतों बाढ़ प्रभावित वन भूमि क्षेत्र में बेघरों के लिए अस्थाई आश्रयों के निर्माण की व्यसवस्था करने पर जोर दिया गया। मगर यह अस्थाई आश्रय न सिर्फ स्थानीय लोगों को भीषण सर्दी के प्रकोप से बचाए बल्कि भविष्य में आपदाओं के जोखिमों से निपटने के लिए उपयोगी हों। स्थानीय स्तर पर पंचायतों के साथ परामर्श और जमीनी मूल्यांकन के बाद, सीड्स ने कुछ जरूरी परियोजनाओं की पहचान की ताकि इस प्राकृतिक संकट से निपटा जा सके। अस्थायी शैल्टरों के जरिए लोगों की तात्कालिक जरूरतों को पूरा कर उन्हें सर्दी से सुरक्षा प्रदान की गई और साथ ही, इन गृह-स्वामियों को भी निर्माण संबंधी कौशलों को सीखने के लिए एक लर्निंग प्लेटफार्म उपलब्ध हुआ। उनका कहना है कि समाज के हाशिए पर गुजर-बसर करने वाले बेहद जरूरतमंद 20 परिवारों को, सर्दी के मौसम के मद्देनजार, तत्काल अस्थायी शैल्टर प्रदान किया गया।

इन परिवारों को मिले कमरे
जिन परिवारों को ये कमरे उपलब्ध करवाए गए हैं। उनमें पटड़ीघाट पंचायत के प्रेमा राम, सुरजन राम, नानक चंद, रोशन लाल , गुलाब सिंह, भूपचंद, रोशन शर्मा, मजनू राम , चंद्रमणी, कला देवी, रूमा देवी, ऋषि केश, टेकचंद वहीं ग्राम पंचायत गेहरा के गौरी दत्त, हेतराम, अमीचंद, पन्नू राम, दत्त राम, मेध सिंह, लीला देवी आदि के परिवार शामिल हैं। इन परिवारों का कहना है कि इस आड़े वक्त कंपनी की ओर से उनकी मदद की गई। अब कम से कम सर छिपाने के लिए उनके पास एक-एक कमरा उपलब्ध है।

1994 से ही प्रभावितों को राहत पहुंचाने में सक्रिय
डा. मनु गुप्ता ने बताया कि सीड्स 1994 से ही आपदाओं में प्रभावितों को राहत पहुंचाने के काम में सक्रिय भूमिका निभाती आई है। हिमाचल प्रदेश में यह 2004-05 से कार्यरत है। सीड्स, हिमालयी क्षेत्रों में संभावित भूकंपों और भूस्खलनों के मद्देनजर शोध, पारंपरिक जानकारी और बचाव आदि के बारे में उल्लेखनीय योगदान करता रहा है। सीड्स प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए, हिमाचल राज्य आपदा प्रबंधन योजना में महत्वपूर्ण पार्टनर है, और यह स्कूलों की सुरक्षा के लिए रेट्रोफिटिंग के साथ-साथ समुदायों को भी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारी से जुड़े कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभाता रहा है।