किन्नौरी लिंगचा पर आया लोगों का दिल

गेयटी में लगी ऊनी वस्त्रों की प्रदर्शनी में अलग-अलग जिलों के कारीगरों ने लगाए स्टॉल

सिटी रिपोर्टर-शिमला
गेयटी थियेटर के हॉल में शुक्रवार को राज्य हथकरघा प्रदर्शनी में भारी मात्रा में लोग पहुंचे। इस प्रदर्शनी में राज्य के अलग-अलग जिलों से कारीगरों द्वारा लगभग 30 स्टॉल लगाए गए है। राज्य के अलग अलग शहरों और कस्बों से आए कारीगरों ने हाथों से बनाए उत्पाद प्रदर्शनी और बेचने के लिए लगाए है। किन्नौर के कारीगर मस्त राम ने बताया कि वह करीब 40 सालों से इन चीजों को बनाने का कार्य कर रहे है। वे इन वस्तुओं को इसे भेड़ की ऊन से बनाकर तैयार करते है। इनमें लोगों को किन्नौर का पारंपरिक वस्त्र लिंगचा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। उन्होंने बताया की लिंगचा को बनाने के लिए भेड़ की सुद्ध उन का इस्तेमाल किया जाता है।

इसके बाद उन का धागा बनाकर खड्डी में इसे तैयार द्यकिया जाता है। इसे बनाने में लगभग 40 से 45 दिनों का समय लग जाता है। इसकी कीमत 25 हज़ार रखी गयी है। इसके अलावा इसमें सदरी 500 से 3,000,किन्नौरी शॉल 600 से 4,000, गर्म सूट 1000 से 4000, पश्मिना शॉल 8,000 से 20,000, स्टॉल 800 से 3,000, पहाड़ टोपी 300 से 700, ऊनी मोजे 1,000 और कनपट्टी 100 से 150 रुपये में बिक रही है।