गेयटी में हाथों-हाथ बिक रहे लाहुल-स्पीति के ऊनी वस्त्र

हस्तशिल्प प्रदर्शनी में लोगों को खूब लुभा रहा लोंग कोट, कीमत सात हजार

सिटी रिपोर्टर-शिमला
गेयटी थियेटर में रविवार के दिन हस्तशिल्प प्रदर्शनी में लोगों की भारी मात्रा में लोग पहुंचे। प्रदर्शनी की शुरुआत चार जनवरी को हुई थी और यह प्रदर्शनी 10 जनवरी तक निरंतर लगाई जाएगी। राज्य के अलग- अलग जिलों से कारीगरों ने प्रदर्शनी में स्टॉल लगाए गए हैं। राज्य के अलग अलग शहरों और कस्बों से आए कारीगरों ने हाथों से बनाए ऊनी उत्पाद प्रदर्शनी और बेचने के लिए लगाए हैं। लाहौल-स्पीति से आए कारीगर मादासी ने बताया कि वह करीब 25 सालों से हस्तशिल्प ऊनी वस्त्र बनाने का कार्य कर रहे हंै। वे इन वस्तुओं को इसे यॉक, भेड़ व भेड़ के बच्चों की ऊन से बनाकर तैयार करते हंै। प्रदर्शनी में लोगों को लाहुल-स्पीति का पारंपरिक कोट आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। उन्होंने बताया कि इस कोट को बनाने के लिए यॉक अथवा भेड़ की ऊन से बनाया जाता है।

सबसे पहले ऊन का इस्तेमाल धागा बनाने के लिए किया जाता है। जब धागा बन कर तैयार हो जाता है तो उस धागे से कोट के कपड़े को खड्डी में तैयार किया जाता है । उसके बाद कारीगर हाथों से कोट की सिलाई करते हैं। इसके बाद कोट के ऊपर डिज़ाइनर पट्टियां लगाकर इसे तैयार करता है। कोट को बनाने में लगभग 10 से 15 दिनों का समय तक लग जाता है। कोट की खासियत इसका पतला होने के बावजूद ज्यादा गर्म होना है। प्रदर्शनी में इस कोट की कीमत 7000 हज़ार रखी गई है। उन्होंने बताया की उनके पास जो मोज़े है उनके पहनने से पसीने की प्रॉब्लम नहीं होगी और यूरिक एसिड के मरीजों को भी इन्हें पहनने से दर्द में राहत मिलेगी। इसके अलावा प्रदर्शनी में सदरी 500 से 3,000 रुपए , सिंपल शॉल की कीमत 600 से 4,000 रुपए है। गर्म सूट की कीमत 1000 से 4000 रुपए, पश्मिना शॉल की कीमत 8,000 से 30,000 रुपए है। स्टॉल जिसकी कीमत 800 से 3,000 रुपए , पहाड़ी टोपी की कीमत 300 से 700 रुपए है। ऊनी मौजे की कीमत 1,000 है। कनपट्टी 100 से 150 रुपए तक बिक रही है।