मित्रता करो तो कृष्ण-सुदामा जैसी, सच्चा दोस्त ही दुख का साथी

राधाकृष्ण मंदिर कोटला कलां में कथावाचक कृष्ण चंद्र शास्त्री ने कथा के अंतिम दिन बरसाया अमृत, भक्तजनों ने खूब लगाए जयकारे

दिव्य हिमाचल ब्यूरो-ऊना
श्री राधाकृष्ण मंदिर कोटला कलां में चल रहे 13 दिवसीय वार्षिक धार्मिक समागम के तहत सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा को मंगलवार को विराम दिया गया। श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन कथावाचक कृष्ण चंद्र शास्त्री (ठाकुर जी) ने भक्तों को कथा का श्रवण करवाया। उन्होंने भगवान के सोलह हजार एक सौ आठ विवाह का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान के परिवार की संख्या छप्पन करोड़ है। फिर भी भगवान सदैव मुस्कराते है। शास्त्री जी ने कहा कि सदैव प्रसन्न रहना परमात्मा की सर्वोच्च भक्ति है।

उन्होंने कहा कि कृष्ण-सुदामा जैसी मित्रता होनी चाहिए। मित्र के दुख में दुखी और मित्र के सुख में सुखी होना ही सच्ची मित्रता है एवं यथा साध्य सामथ्र्य रहते अपने मित्र का सहयोग भी करना चाहिए। सुदामा जी त्यागी, तपस्वी, ओजस्वी, मनस्वी एवं स्वामिनी उत्तम ब्राह्म थे। कृष्ण नाम जय ही उनका सर्वोतम धन था। जब सुदामा द्वारिका नगरी पहुंचे तो भगवान दौडक़र सुदामा जी को गले लगाया।यदुवंश को श्राप, चौबीस गुरुओं की कथा, नव योगेश्वर संवाद तथा भगवान का स्वधाम गमन, शुक देव विदायी, परीक्षित मोक्ष एवं संपूर्ण सार वर्णन के साथ कथा विश्राम दिया गया।

बाबा बाल जी महाराज ने किया पूजन व आरती

बाबा बाल जी महाराज ने भागवत व्यास एवं बाह्मणों का पूजन व आरती की। यज्ञ की पूर्णाहूति तथा भंडारा का भी आयोजन किया गया।