कोकसर में ज्यादा सैलानियों पर एनजीटी सख्त

बर्फबारी के बाद क्षमता से अधिक पहुंच रहे टूरिस्ट, नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल ने पर्यावरण मंत्रालय और सरकार को भेजा नोटिस

जिला संवाददाता-केलांग
हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में बीते दिनों जमकर बर्फबारी हुई। वहीं अब बर्फबारी का मजा लेने के लिए सैलानी भी विभिन्न पर्यटन स्थलों का रुख करने लगे हैं। ऐसे में जिला लाहुल-स्पीति के विभिन्न इलाकों में भी सैलानी काफी संख्या में पहुंच रहे हैं, लेकिन क्षमता से अधिक पर्यटकों की आवाजाही पर अब एनजीटी ने भी कड़ा रुख अपनाया है। एनजीटी ने लाहुल घाटी के कोकसर में क्षमता से अधिक सैलानियों की आवाजाही और ठोस कचरे की डंपिंग को लेकर कड़ा संज्ञान लिया है।

वहीं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा पर्यावरण वन जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा हिमाचल प्रदेश सरकार को भी नोटिस भेजा है। बीते दिनों पर्यावरण संगठन फ्रेंड्स द्वारा एक याचिका दायर की गई थी और एनजीटी की खंडपीठ ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आकाश विशिष्ट ने इस मामले की पैरवी की और एनजीटी की बेंच में कई तथ्य भी रखे हैं। कोकसर में चल रही इस तरह की गतिविधियों के चलते आसपास के इलाकों में भी आगामी समय में दुष्परिणामों को लेकर भी बेंच में चर्चा की गई। एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस प्रकाश श्रीनिवास और विशेषज्ञ सदस्य डॉक्टर, सेंथिल की बेंच ने अत्यधिक पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र में ठोस अवशिष्ट प्रबंधन 2016 के गैर अनुपालन से उत्पन्न बड़े पैमाने पर पर्यावरण उल्लंघन पर भी अब ध्यान दिया है।

पर्यावरण संगठन फ्रेंड्स ने दायर की है याचिका
अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ ने बताया कि उन्होंने पर्यावरण संगठन फ्रेंड्स द्वारा दायर की गई याचिका को एनजीटी के समक्ष रखा गया है और कचरे की डंपिंग सहित कई अन्य मामलों को लेकर भी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अलमित्र पटेल बनाम भारत संघ एवं अन्य मामलों में पारित निर्देशों का भी जिक्र किया है। रोहतांग दर्रा जहां बर्फबारी के चलते साल में 7 महीने तक बंद रहता है। वहीं रोहतांग दर्रा के दूसरी तरफ कोकसर स्थित है। यहां पर भी बर्फ होने के चलते पर्यटन गतिविधियां काफी अधिक हो रहीं हैं। ऐसे में बीते दिनों भी यहां पर ठोस कचरे के फेंकने का मामला सामने आया था। एनजीटी में दायर याचिका में कहा है कि हजारों की संख्या में यहां सैलानियों के पहुंचने से यहां पर प्लास्टिक का कचरा, पानी की बोतल सहित कई अधिक तरह के अवशिष्ट पदार्थ फेंके जा रहे हैं, जिससे यहां का पेयजल भी प्रदूषित हो रहा है। अब एनजीटी ने पर्यावरण वन जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा हिमाचल प्रदेश सरकार से इस बारे में जवाब मांगा है और एनजीटी ने अगली सुनवाई 3 अप्रैल को निर्धारित की है।