गेते और टाशीगंग के लोग चुनावों का करेंगे बहिष्कार

लोक निर्माण विभाग से 12 मजदूरों को बाहर निकालने के खिलाफ किया ऐलान, सडक़ की खस्ता हालत को लेकर सीएम को भेजा ज्ञापन
जला संवाददाता-केलांग
लाहुल-स्पीति के गेते और टाशीगंग गांव के लोगों ने इस बार लोकसभा चुनाव के वहिष्कार करने का निर्णय लिया है। इस संदर्भ में गांव के लोगों ने एडीसी काजा के माध्यम से सीएम हिमाचल प्रदेश को एक पत्र लिखकर इसकी जानकारी साझा की है। दअरसल, गेते और टाशी गंग के 12 मजदूर लोक निर्माण विभाग में कार्यरत थे जिन्हें ठीक नियमित होने से पूर्व विभाग से निकाल दिया है। यह मजदूर किब्बर से गेते और टाशी गंग को जाने बाली 13 किलोमीटर लंबी सडक़ को वहाल और रख रखाब के लिए तैनात किए गए था। इन मजदूरों को हटाने के चलते गांव के लोगों का जहां रोजगार छिन्न गया वहीं गांव को जाने बाली सडक़ भी बदहाल हो गई है।

जिससे यहां के लोग सरकार से नाराज चल रहे हैं ऐसे में उन्होंने सीएम को पत्र लिखकर चुनावों का बहिष्कार करने की सूचना दी है और सरकार से इसकी अनुमति मांगी है। लोक निर्माण विभाग से निकाले गए मजदूर तकपा समतन, कलजंग डोलमा, लोवजंग छुलदिम, छेवांग लामों, छेरिंग डोलमा, पदमा दिकिद, लोवजंग, गोएजोर, सोनम दिकिद, टशी दोरजे, लोवजंग देचेन, छुइजिन ठिल्ले, सोनम यंगजोम ने सीएम से लोकसभा चुनावों के बहिष्कार करने की अनुमति मांगी है। उधर, एडीसी काजा ने मजदूरों के इस पत्र को मुख्यमंत्री के लिए भेज दिया है।

लोगों ने लोक निर्माण विभाग पर जड़े आरोप
लोगों ने पत्र में कहा है कि वर्ष 1990 के आसपास में लोक निमार्ण विभाग काजा ने प्रत्येक गांव को सडक से जोड़ा। 13 किलोमीटर लंबी इस सडक़ का रख रखाब करने के लिए वर्ष 1992-93 में 7 लेबरों की नियुक्तियां की गई। कुछ वर्ष बाद लेबरों की कमी को अनुभव करते हुए 5 अन्य लेबरों की नियुक्ति की गई। ऐसे में 12 लेबरों को साल में 6 महीने के समय के लिए लगाया गया। लंबे लंबे अंतराल के बाद इन मजदूरों को वर्ष 2019-20 से वर्ष में 6 महीने की जगह 12 महीने के लिए लगाया गया। इन मजदूरों को वर्ष 2019-20 से वर्ष में 6 महीने की जगह 12 महीने के लिए लगाया गया। इस लिहाज से सितंबर 2023 को सभी 12 मजदूर नियमित होने थे। लोक निमार्ण विभाग ने बिना पूर्व सूचना और बिना कारण बताए जनवरी 2023 को कागजी तौर पर निकाल दिया। जबकि उसके बाद भी वह मई तक काम करते रहे। लेकिन जनवरी के बाद मई तक काम करने की एवज में पैसे भी नहीं दिए, जबकि मजदूरों को निकालने की सूचना भी मई महीने में दी गई।