फलों को रोगों और कीटों से बचाएं

गेहूं-मटर पर करें खट्टी लस्सी-जीवामृत का छिडक़ाव, प्राकृतिक खेती पर किसानों को विशेषज्ञों की सलाह
स्टाफ रिपोर्टर-भुंतर
जिला कुल्लू में शून्य लागत प्राकृति कृषि योजना के तहत खेतीबाड़ी कर रहे किसानों-बागबानों को विशेषज्ञों ने समय पर छिडक़ाव करने और अन्य गतिविधियों को निपटाने की सलाह दी है। विभाग ने गेहूं, मटर सहित अन्य फसलों को रोगों व कीटों से बचाने के लिए बताई गई तकनीकों के आधार पर छिड़ाव करने को कहा है। सुभाष पालेकर कृषि परियोजना के तहत भुंतर खंड की खंड तकनीकी प्रबंधक ज्योति जास्पा ने किसानों को सलाह देते हुए कहा है कि गेहूं में आने वाली प्रमुख बीमारियां पीला रतुआ जिसमें पतों और उनके आवरणों पर छोटे-छोटे पीले फफोले कतारों में शिराओं के मध्य प्रकट होते हैं व भूरा रतुआ जिसमें गोल व भूरे रंग के बिखरे हुए कील पतों पर प्रकट होते हैं। इसके अलावा काला रतुआ भी गेहूं को प्रभावित करता है जिसमें गहरे भूरे रंग की कील, तनें, पतों और पतों के आवरणों पर दिखाई देती है जो बाद में फट जाती है तो चूर्णलसिता रोग भी फसल को नुकसान पहुंचाता है। इस रोग से प्रभावित पौधों पर फफूंद की सफेद मटमैली रुई की हल्की तह नजर आती है।

उन्होने कहा है कि इनके रोकथाम के लिए समय-समय पर आठ से दस दिन पुरानी खट्टी लस्सी 40 लीटर पानी में एक लीटर व जीवामृत 40 लीटर पानी में दो लीटर कपड़े से छाना हुआ हो उसका छिडक़ाव कर सकते हैं। यह एक बहुत अच्छे फफूंदनाशक के तौर पर काम करता है। इसके अलावा जंगल की कंडी, सोंठास्त्र बिना पानी मिलाएं आदि का इस्तमाल तीन दिन के अंतराल करना चाहिए। उन्होने कहा है कि मटर में स्टेकिंग करें और चूर्ण फफूंदी रोग 1/4 पाउडरी मिल्डयू1/2, डाउनी मिल्ड्यू की रोकथाम के लिए सूखी घास या पतों से आच्छादन करें। इसमें भी फफूंदनाशक के तौर पर खट्टी लस्सी व जीवामृत का छिडक़ाव करने को कहा है। उनके अनुसार किसान मटर में लीफ मइनर और थ्रिप्स की रोकथाम के लिए दरेकअस्त्र, कडूअस्त्र 1/4बिना पानी मिलाए1/2 तथा ब्रह्मास्त्र, अग्निअस्त्र 1/440 लीटर पानी में एक लीटर1/2 का छिडक़ाव एक बीघा खेत की फसल में कर सकते हैं। उन्होने फलदार पौधों के लिए भी समय समय पर तय शैड्यूल के अनुसार छिडक़ाव करने को कहा है। उन्होने बताया कि विभाग द्वारा किसानों को उक्त सभी छिडक़ावों को तैयार करने की तकनीकें गांव-गांव जाकर भी बताई जा रही है।