पैरों से निराश, हौसलों से फतेह

पैरा एथलीट ज्योति ठाकुर ने दो सालों में 12 गोल्ड मेडल जीतकर चमकाया नाम, ओलम्पिक में भारत का नेतृत्व करना उद्देश्य

दिव्य हिमाचल ब्यूरो-कुल्लू
सपने देखने के बाद उन सपनों का साकार करने का दम रखने वाले लोग जीवन में हर मुकाम हासिल कर ही लेते हैं। मंजिल उन्ही को मिलती हैं जिनके सपनों में जान ही नहीं बल्कि उड़ान भी तेज होती हैं। पंख से कुछ नही होता हौसलों से उड़ान होनी चाहिए। यह सब कहावतें व बातें उनके लिए फीट बैठती है। जो विभिन्न परिस्थितियों में भी अपनी उड़ान भरना नहीं छोड़ते और सफलता को ऊंचाइयों तक ले जाते हैं।

जी हां, आज भी कुछ युवतियां व महिलाएं ऐसी हैं जो अपने सपने को साकार करने में हर बड़ी कठिनाई होने के बाद भी अपनी मंजिल पाना नहीं छोड़ती है। ऐसी ही एक दिव्यांग खिलाड़ी ज्योति ठाकुर ने भी इस बात को सच कर दिखाया है और उसने दिव्यांगता को अभिशाप ना मानकर इसे अपने लिए व दूसरों को प्रेरणा बनाते हुए राष्ट्रीय पैरा एथलीट में कई मैडल लेकर अपनी प्रतिभा का लोहा पूरे देश में मनाया है। ज्योति ठाकुर को शुरू में कई विफलताओं का सामना करना पड़, लेकिन अपनी विशेष परिस्थितियों को ढाल बनाकर हर मुश्किल से ज्योति ठाकुर ने लडऩा भी सीखा और आज वह देश की सफल पैरा एथलीट भी है।