होला मोहल्ला; मैड़ी में आस्था का सैलाब, तीसरे दिन पचास हजार श्रद्धालुओं ने डेरा बाबा के दर नवाया शीश

 चारों और ‘जो बोले सो निहाल’ के जयकारों की गूंज

निजी संवाददाता-मैड़ी
डेरा बाबा बड़भाग सिंह मैड़ी में 10 दिवसीय होला मोहल्ला के अंतर्गत मंगलवार को तीसरे दिन करीब 50 हजार ने श्रद्धालुओं ने बाबा बड़भाग सिंह जी के चरणों में शीश नवाया। श्रद्धालु आस्था से वशीभूत होकर बाबा जी के दरबार की और बढ़ रही थी। इस दौरान पूरा क्षेत्र जो बोले सो निहाल के जयकारों से गूंज उठा। मैड़ी क्षेत्र में बाबा बड़भाग सिंह जी से संबंधित पांच गुरूद्वारें हैं, जोकि श्रद्धालुओं के लिए अगाध श्रद्धा के केंद्र हैं। श्री चरणगंगा धौलीधार में शीतल जल का जलप्रपात है। जहां स्नान करके श्रद्धालु मानसिक कष्टों से छुटकारा पाते हैं, जलप्रपात के समीप ही बाबा नाहर सिंह जी का अखंड धूना है। जहां बाबा नाहर सिंह जी साक्षात निवास करते हैं। धौलीधार चरणगंगा में स्नान करने के बाद संगतें बाबा बड़भाग सिंह जी के मुख्य गुरुद्वारा बेरी साहिब में स्थित बाबा जी की समाधि के दर्शन करती हैं। गुरुद्वारा बेरी साहिब में जहां बाबा जी ने तपस्या की थी वह बेरी का पेड़ बाबा जी के तप के प्रभाव से आज भी हरा-भरा है। इसी बेरी के पेड़ के नीचे बाबा जी ने अति भयंकर राक्षस नाहर सिंह वीर जी को वाल रूप में पिंजरे में कैद कर लिया था।

इस पेड़ से श्रद्धालु अपनी मन्नतों के स्वरूप मौली बांधते हैं। इसी गुरूद्वारें में बाबा जी की वहन बीबी भानी जी की भी समाधि वनी हुई है। गुरुद्वारा मंजी साहिब में बाबा जी निवास करते थे। नाहर सिंह जी का मंदिर और गुरूद्वारा कुज्जासर भी बाबा बड़भाग जी से संबंधित हैं। एक किंवदंती के अनुसार बाबा जी की आत्मा शरीर छोडक़र स्वर्गलोक गई हुई थी तो काफी दिनों तक वापस नहीं आई इस पर उनके परिवार वालों ने उन्हें मृत समझ कर उनका संस्कार कर दिया। हालांकि समाधि में बैठने से पूर्व बाबा जी परिवार वालों से कह गए थे कि उनके शरीर को बिल्कुल न छुआ जाए। काफी दिनों के बाद बाबा जी की आत्मा शरीर में प्रवेश करने आई तो शरीर न पाकर उसे काफी निराशा हुई।वह इधर-उधर घूम कर वापस जाने लगी तब बाबा जी के परिवार वालों को अपनी भूल का अनुभव हुआ और वे अपने किए पर पछताने लगे।