अब टैरिफ जो भी आए महंगी नहीं होगी बिजली, लोकसभा चुनाव से पहले सरकार का बड़ा फैसला

By: Mar 15th, 2024 12:08 am

कैबिनेट की अनुमति से विद्युत नियामक आयोग को पत्र जारी

पहली अप्रैल से 1.50 रुपए यूनिट रेट बढऩे की थी आशंका

राज्य ब्यूरो प्रमुख — शिमला

पहली अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष के लिए विद्युत नियामक आयोग की तरफ से बिजली का टैरिफ जो भी आए, लेकिन अगले वित वर्ष में भी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली के रेट अब नहीं बढ़ेंगे। बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस बारे में मंजूरी दे दी गई है। फैसला लिया गया है कि टैरिफ बढऩे के कारण जो भी अतिरिक्त खर्च आएगा, उसका भुगतान राज्य सरकार करेगी। सरकार की ओर से गुरुवार को इस आशय का पत्र भी विद्युत नियामक आयोग को जारी कर दिया गया। विद्युत नियामक आयोग में बिजली बोर्ड की ओर से अगले साल के टैरिफ की याचिका दायर हो चुकी है और उसके बाद जनसुनवाई की प्रक्रिया भी पूरी हो गई है। 30 मार्च को विद्युत नियामक आयोग ने अगले वित्त वर्ष का टैरिफ घोषित करना है। पिछले साल भी आयोग ने 22 पैसे प्रति यूनिट बिजली की दर बढ़ाई गई थी। इसके बाद घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 60 यूनिट तक 3.72 रुपए, 125 मिनट तक 4.37 रुपये और 300 यूनिट तक 5.27 रुपये और 300 यूनिट से ज्यादा 5.87 रुपए टैरिफ तय हुआ था, लेकिन पहली दो कैटेगरी में पूरी सबसिडी के बाद टैरिफ शून्य हो गया था, जबकि आखिरी दो कैटेगरी में 1.10 रुपए और 0.65 रुपए सबसिडी राज्य सरकार दे रही है।

उद्योगों के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई सबसिडी नहीं है और टैरिफ की दर 5.17 रुपए से लेकर 4.76 रुपए तक है। इस बार भी पहली अप्रैल से लागू होने वाली नई दर में 1.50 रुपये प्रति यूनिट बिजली का टैरिफ बढऩे की आशंका थी। इस टैरिफ में यह भी पता चलेगा कि बिजली बोर्ड कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन देने के लिए नियामक आयोग क्या पास थ्रू देता है या नहीं? पिछले साल वाटर सेस लगाने के बाद टैरिफ में भी इसका असर आया था, लेकिन वाटर सेस को हाई कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया है।

फ्री पावर ऊर्जा निदेशालय नहीं, बिजली बोर्ड बेचे

विद्युत नियामक आयोग की तरफ से राज्य सरकार को महत्त्वपूर्ण सुझाव दिया गया है। टैरिफ पर असर कम करने के लिए आयोग ने कहा है कि बिजली प्रोजेक्ट्स से रॉयल्टी के तौर पर मिलने वाली फ्री पावर को यदि ऊर्जा निदेशालय के बजाय बिजली बोर्ड बेचे, तो टैरिफ भी काम होगा। राज्य सरकार हर साल 1400 से 1500 करोड़ तक की बिजली बेचती है। यह काम ऊर्जा निदेशालय के पास है। इस सुझाव पर अब राज्य सरकार को फैसला लेना है।


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