दस दिन का अल्टीमेटम, फिर आंदोलन

मनरेगा मजदूरों की वित्तीय सहायता रोकने पर राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड की दोटूक

निजी संवाददाता- सरकाघाट
मुख्यमंत्री एवं श्रमिक कल्याण बोर्ड के नए अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में बीते शुक्रवार को शिमला में उनके कार्यालय में हिमाचल प्रदेश राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड की 44वीं बैठक आयोजित की गई। हालांकि ये बैठक 29 फ रवरी को रखी गई थी लेकिन प्रदेश सरकार पर छाए संकट के कारण ये नहीं हो पाई और बीते शुक्रवार को बैठक जल्दबाजी में केवल रस्मअदायगी के रूप में ही हुई और लंबित मुद्दों पर निर्णय नहीं हो सके। बोर्ड सदस्य व सयुक्त ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति के संयोजक भूपेंद्र सिंह, इंटक की हेमा तंवर, बीएमएस के प्रदीप कुमार, एटक के जगदीश भारद्वाज और टीयूसीसी से रविंद्र कुमार रवि ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि इस बैठक में गत डेढ़ साल से बोर्ड की रुकी हुई कार्यप्रणाली व सहायता जारी करने बारे निर्णय होने की उम्मीद थी लेकिन मुख्यमंत्री केवल दस मिनट के लिए ही बैठक में आए और सरकार के बजट में की गई दो घोषणाओं को बोर्ड में लागू करने के बारे में बोल कर चले गए।

जिस पर सभी मजदूर संगठनों के सदस्यों ने एतराज जताया है और बोर्ड के सचिव को दस दिन में रोकी गई वित्तीय सहायता राशी जारी करने का अल्टीमेटम दिया है अन्यथा उसके बाद अभी यूनियनें पहले से जारी संघर्ष को और तेज करेंगी। संयोजक भूपेंद्र सिंह ने मीडिया को बताया कि वर्तमान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बोर्ड का सारा काम पिछले 14 महीनों से लगभग बंद पड़ा हुआ है पूर्व में श्रम मंत्री इस बोर्ड के चेयरमैन थे लेकिन अब मुख्यमंत्री ने स्वयं ही इसकी कमान संभाल ली है और 2 फ रवरी से बोर्ड के अध्यक्ष बन गए हैं और उनकी अध्यक्षता में हुई बैठक में भी मनरेगा मजदूरों को गैर कानूनी तौर पर रोकी गई सहायता बहाल नहीं हो पाई ।