कुल्लू में तिब्बत की आजादी की लड़ाई

तिब्बती समुदाय के लोगों ने चीन सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन, हनुमानी बाग से ढालपुर तक रैली

कार्यालय संवाददाता-कुल्लू
65 वें जनक्रांति दिवस के मौके पर तिब्बती समुदाय के सैकड़ोंं लोगों ने कुल्लू में में चीन सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान हनुमानीबाग से लेकर ढालपुर मैदान तक एक रैली भी निकाली। तिब्बत की आजादी को लेकर चीन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। रैली में काफी संख्या में लोगों ने भाग लिया। वहीं, ढालपुर मैदान में 65 वां जनक्रांति दिवस मनाया। इस दौरान मुख्यातिथि के रूप में नगर परिषद कुल्लू के वार्ड नंबर नौ के पार्षद चंदनप्रेमी ने शिरकत की। वहीं, इस दौरान इस दौरान वक्ताओं ने अपने वक्तव्य में कहा कि तिब्बत में रह रहे तिब्बतियों की चीन की दमनकारी नीतियों सहित कई तरह की यातनाओं को सहना पड़ रहा है। ऐसे में अपने देश की आजादी की जंग में विद्रोह करते हुए कई तिब्बती चीनी सेना ने मार दिए हैं।

आज उन बलिदानियों को भी तिब्बती समुदाय याद कर रहा और तिब्बत में चीन की दमनकारी नीतियों का विरोध कर रहा है। उन्होंने कहा कि तिब्बत में चीन वहां की कला संस्कृति व ऐतिहासिक धरोहरों के साथ छेड़छाड़ करके उन्हें समाप्त कर देना चाहता है। तिब्बत की आजादी के लिए वीर तिब्बती महिला पुरुष बलिदान दे रहे हैं, उन सभी को तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह के दिन याद किया जाता है। आज के दिन अपने उन देशभक्तों की वीरता को याद करते हैं, जिन्होंने तिब्बत की आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर किए हैं। यहां पर तिब्बत की धार्मिक, राजनीतिक और जातीय पहचान के लिए अपना सब कुछ बलिदान करने वाले उन देशभक्तों के साहस व कार्यों के प्रति अपनी श्रद्धाजंलि भी दी। लिहाजा, जिला मुख्यालय कुल्लू में तिब्बत की आजादी के लिए आवाज बुलंद की गई। सैकड़ों की संख्या में तिब्बती लोगों ने सडक़ों पर उतरकर चीन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। हनुमानी बाग से रोष रैली ढालपुर तक निकाली गई। इसके बाद तिब्बत और भारत के राष्ट्रगान से 65वें तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस का शुभारंभ किया। इसके अलावा तिब्बत की आजादी के लिए आत्मदाह करने वालों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। बता दें कि 10 मार्च 1959 में तिब्बतियों ने तिब्बत पर चीनी सरकार के कब्जे के खिलाफ शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन किया था। 1959 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के कब्जे के खिलाफ तिब्बती लोगों का विद्रोह हुआ था।

1989 में पहली बार ल्हासा में लगाया मार्शल लॉ

तिब्बत की राजधानी ल्हासा में लगातार तीन साल तक दस मार्च को हिंसक प्रदर्शन होने के बाद आज ही के दिन 1989 में पीआरसी द्वारा तिब्बत में पहली बार मार्शल लॉ लागू किया गया था और 2008 में आज ही के तिब्बत के तीन पारंपरिक प्रांतों में शांतिपूर्ण विद्रोह की ज्वाला दहक उठी थी। इसलिए इन तीन महत्वपूर्ण और पवित्र अवसरों की वर्षगांठ पर हम अपने हमवतनों और शहीदों को याद करते हैं और उनका सम्मान करते हैं जिन्होंने तिब्बत के लिए बिना मोल लिए अपनी जान दे दी। हम उनके परिवार के सदस्यों और उनके साथ एकजुटता से खड़े हैं जो अभी भी पीआरसी के कब्जे के दमनकारी शासन से पीड़ित हैं। वहीं, दलाई लामा की लंबी उम्र की कामना भी लोगों ने की।