करोड़ों तबाह…सियासत लापरवाह

कुल्लू में आज तक नहीं पो पाया ब्यास का तटीकरण, दशक बाद भी केंद्र से ओके नहीं

कार्यालय संवाददाता-कुल्लू
आपदा से जिला कुल्लू में तबाही के मंजर देखने को मिले। बाढ़ नदी में आई भयंकर बाढ़ से कई जिंदगियां चली गईं, लेकिन केंद्र और प्रदेश की सरकारें इसके बावजूद भी पसीज नहीं पार्इं। तटीकरण को लेकर हालांकि सूबे में पिछले डेढ़ दशक से सत्ता में आई कांग्रेस और भाजपा की सरकारें घोषणाएं व दावे पेश करती रहीं,लेकिन तटीकरण घोषणाओं से आगे नहीं निकल पाया। हैरानी की बात है कि केंद्र सरकार ब्यास नदी के तटीकरण की योजना को लेकर मंजूरी नहीं दे पाई। वहीं, राज्य सरकारें केंद्र से मंजूरी लेने में विफल रही। दें कि हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला से बहने वाली ब्यास नदी में आई बाढ़ों से भयंकर नुकसान हुआ है। सबसे ज्यादा नुकसान गत वर्ष आई से लेकर दस जुलाई के बीच भारी नुकसान हुआ है। कई जिंदगियां बाढ़ की भेंट चढ़ गई। यही नहीं बस समेत सवारियां भी ब्यास नदी में समाई। कई वाहन ब्यास नदी में बह गए। भयंकर बाढ़ से आशियानें तक समा गए। सडक़ें धाराशही हो गई। लेकिन इसके बावजूद भी ब्यास नदी के तटीयकरण की योजना को सिरे नहीं चढ़ाया गया है। हालांकि 1971, 1988 और 1995, 2018 में ब्यास नदी में आई बाढ़ से तबाही हुई। लेकिन सबसे ज्यादा तबाही जुलाई 2023 में हुई है। जिसमें 25 से अधिक तो जिंदगयिां चले गई है।

कुल्लू-मनाली घूमने आए पर्यटक घूमने के बजाए आपदा की भेंट चढ़ गए हैं। अब तक जख्म पूरे नहीं हुए हैं। यदि ब्यास नदी का तटीकरण हुआ होता तो शायद इतना नुकसान नहीं होगा। हैरानी की बात यह है कि 2010 से लेकर पलचान से लेकर औट तक ब्यास नदी के तटीकरण को लेकर घोषणाएं होती आ रही हैं। वहीं, योजना बनती गई है। वहीं, प्रदेश सरकार और कांग्रेस तथा भाजपा के नेता करोड़ों रुपए तटीकरण के लिए आने की बातें करते रहे, लेकिन धरातल पर मंजर कुछ और ही है। मंडी संसदीय क्षेत्र के सांसदों ने भी तटीकरण को लेकर बड़े दावे किए, लेकिन दावे पूरी तरह से हवाई साबित हुए हैं। हालांकि जुलाई 2023 की बाढ़ के बाद उस समय के उपायुक्त कुल्लू ने जिला में ब्यास नदी में आ रही भयंकर बाढ़ से हो रहे भारी नुकसान को देखते पलचान से औट तक ब्यास नदी के दोनों ओर तटीकरण की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए थे। इसके बाद रिपोर्ट शायद प्रदेश सरकार को भेजी थी। प्रदेश सरकार ने रिपोर्ट के तहत केंद्र सरकार से मंजूरी के लिए भेजनी थी। अब यह रिपोर्ट कहां तक पहुंची है, किसी को कोई जानकारी नहीं है। बहरहाल ब्यास का तटीकरण न होना आज कुल्लू जिला का सबसे बड़ा मुद्दा बनकर रह गया है। इस बार बरसात में मिले जख्मों के बाद तो घाटी के लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे कि जल्द ही इस समस्या का समाधान हो जाएगा, पर अभी तक किसी तरह का एक्शन न
होने से लोगों के हाथ निराशा ही लगी है।

साल दर साल बढ़ रहा ब्यास में मौत का आंकड़ा…

साल दर साल ब्यास नदी में बाढ़ के कारण मौतों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा। न जाने कब यह समस्या हल होगी। ब्यास नदी को चैनेलाइजेशन करने की कवायद अब तक सफल नहीं हुई है। हालांकि नवंबर 2021 में यह भी बताया गया तथा कि केंद्रीय जल आयोग ने तटीयकरण के लिए सर्वे को मंजूरी दी है। बाकायदा अधिकारियों ने पलचान से लेकर औट तक 70 किलोमीटर के दायरे में होने वाले ब्यास नदी के तटीकरण के लिए सर्वे भी किया था। लेकिन अब तक मंजूरी नहीं मिली है। यह बड़ा चिंता का विषय है।

बरसात में नुकसान
कुल्लू के लोगों ने इस बार ब्यास का रौद्र रूप देखा है। आठ और नौ जुलाई को आई बाढ़ के बाद लगातार बिगड़े हालात के बीच ब्यास के तटीकरण की जरूरत महसूस हुई और इस दौरान बातें भी खूब हुईं, पर तटीकरण फिलहाल सियासी चक्की में पिस कर रह गया।