बीबीएमबी ने समेट ली शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधा

निजी संवाददाता- पंडोह
990 मैगावाट विद्युत उत्पादन क्षमका का जनक पंडोह बांध के संचालन से भाखड़ा ब्यास प्रबंध बोर्ड बीबीएमबी अरबों रुपए कमा रही है। मगर इस डैम निर्माण में जिन लोगों ने अपनी सोना उगलती जमीनें कुर्बान कर दी, उनके लिए यह डैम एक अभिशाप बन कर रह गया है। बीबीएमबी द्वारा अपने प्रोजैक्ट कैचमेंट एरिया के लोगों के विकास के लिए कोई सुविधा नहीं दी। उनका शोषण ही किया है। जो निंदनीय है। मगर उससे भी ज्यादा निंदनीय बीबीएमबी द्वारा दी जा रही हल्की-फ ुल्की सुविधाओं को बंद करना है। ये सुविधाएं वर्ष 1962-64 में आरंभ में की थी। बीबीएमबी ने इन्हें भी ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह धीरे-धीरे समेट लिया है और कई सुविधाओं को बंद कर दिया है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण सुविधा स्वास्थ्य की है। जो पंडोह में बीबीएमबी के आलीशान अस्पताल भवन के माध्यम से दी जा रही थी। जिसमें दो आप्रेशन थियेटर और 20 बैड की सुविधा है। यह भवन आज भी खड़ा है। मगर बीबीएमबी की निर्दयता और स्वार्थ के प्रतिक के रूप में। आज इसमें केवल एक फार्मासिस्ट है। मगर एंबुलेंस बाहर खड़ी रहती है। जो स्थानीय लोगों को सेवा नहीं देती केवल बीबीएमबी के कर्मचारियों को ढोने का काम करती है। अब यह अस्पताल केवल सफ़े द हाथी बन कर रह गया है। जबकि इसकी सेवाएं निरंतर जारी रह सकती थी। स्थानीय लोगों ने इस अस्पताल को सीएचसी भवन के रूप में उपयोग की मांग की थी। जिसे बीबीएमबी ने खारीज कर दिया था। हालांकि यह मांग पूरी हो सकती है। मगर हमारे जनप्रतिनिधि इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं उठाते हैं।

सनद रहे कि लाल बंगले के नाम से प्रख्यात लोक निर्माण विभाग का ऐतिहासिक पंडोह रेस्ट हाउस तत्कालीन मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र ने थर्ड आईआरबीन को दे दिया था। जो आज भी समावेशक का आवास बना हुआ है। इसी तर्ज पर हमारे वर्तमान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जनहित में बीबीएमबी के अस्पताल भवन को सीएचसी के रूप जनता को समर्पित करवा सकते हैं। मगर ज़रूरत है राजनितिक पहल की। जो राजनीतिक तौर से नहीं हो रही है। इसी तरह से बीबीएमबी द्वारा चलाया जा रहा जूनियर माडल स्कूल इस वर्ष बंद कर दिया गया है। यह स्कूल पिछले 40 वर्षों से कक्षा नर्सरी से 4 कक्षा तक चलाया जा रहा था। जिसमें नन्हे नन्हे बच्चों को सस्ती और सुपर शिक्षा उनके घर.द्वार में मिल रही थी। मगर यह भी बीबीएमबी को रास नहीं आया और इसे बंद कर दिया गया। इतना ही नहीं पंजाब स्कूल के नाम से प्रख्यात सीनियर सेकेंडरी स्कूल बीबीएमबी पंडोह भी अपनी अंतिम सांसें ले रहा है। इस सत्र में मात्र 13 बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। जबकि इस स्कूल में कक्षा प्रथम से प्लस टू तक की सुविधा है। पहले पंजाब शिक्षा बोर्ड से मान्यता थी। मगर पिछले 3 वर्षों से सीबीएसई का पडोह में एक मात्र स्कूल है। कभी इसमें 500 विद्यार्थी पढ़ा करते थे। जैसे बीबीएमबी की उदासीनता बढ़ती गई स्कूल चौपट होता गया। शिक्षा सुविधा से भी पंडोह क्षेत्र के लोग वंचित। बिजली व पानी से बीबीएमबी ने पहले ही अपने हाथ पिछे कर लिए थे। इस तरह से पडोह डैम बीबीएमबी के लिए कुबेर के खजाने से कम नहीं है।

पार्टियों से मांगा समर्थन
विस्थापित कल्याण समिति के संस्थापक सचिव डी आर कौंडल, पंचायत प्रधान पंडोह गीता देवी, बीडीसी सदस्य खेम चंद व जागर पंचायत प्रधान भूषण ने बीबीएमबी को चेतावनी देते हुए कहा है कि इन सभी मूलभूत सुविधाओं को सुचारू किया जाए। वहीं इन्होंने भाजपा व कांग्रेस के लोक सभा उम्मीदवारों से इस मुद्दे पर समर्थन की मांग की है।