आधा घंटा डाक्टर नदारद

सूरत-ए-हाल, कुल्लू अस्पताल…कहीं ओपीडी में कुर्सी खाली, तो कहीं दरवाजे बंद; मरीज करते रहे इंतजार

कार्यालय संवाददाता-कुल्लू
गुरुवार का दिन…समय 12 बजे के आसपास का था…क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में 36 मिनट से ज्यादा समय तक मरीज इलाज को तरसे। कहीं पर ओपीडी खुली तो थी पर इस समय में कुर्सी पर एक भी डाक्टर नहीं बैठे थे। समय 10-11 बजे या दोपहर बाद 3 से 4 बजे का होता तो मान लेते की डाक्टर साहब अभी नहीं आए या जल्दी कहीं निकल पड़े। लेकिन समय बिल्कुल मध्यम था। इस वक्त क्यों डाक्टर साहब ओपीडी छोडक़र चले गए, यह बड़ा सवाल पैदा होता है और स्वास्थ्य सेवाओं में लापवाही भी कहीं न कहीं उजागर होती है। मरीज डाक्टरों के इंतजार में ओपीडी के बाहर बैठे थे।

वहीं, कई ओपीडी के बाहर मरीजों की संख्या काफी ज्यादा थी तो वहां पर दरवाजे बंद थे। इस समय साहब कहां चले किसी को पता नहीं चल पाया। कई मरीज दर्द से परेशान हो रहे थे, लेकिन बिना डाक्टर किससे उपचार करवाएं इस परेशानी के साथ मरीज करीब 36 मिनट तक डाक्टर की राह ताकते रहे। कई ओपीडी में डाक्टर ही नहीं बैठे थे। हैरानी की बात है कि कई जनरल ओपीडी में दो से तीन डाक्टर बैठते हैं, लेकिन गुरुवार को इस समय कोई भी डाक्टर नहीं थे। मरीज पर्ची लेकर इधर-उधर घूमते नजर आए। गुरुवार को दोपहर के समय मरीज ओपीडी में डाक्टर नहीं मिलने पर परेशान रहे।

हाफ टाइम नहीं था, फिर भी डाक्टर गायब
क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में मरीजों के साथ आए तीमारदार संजू, ललित, दिलीप, संजना और राहुल आदि का कहना है कि 12 बजे के आसपास वह जनरल ओपीडी में मरीज लेकर पहुंचे थे, लेकिन यहां पर ओपीडी तो खुली थी, लेकिन डाक्टर नहीं थे। इसके बाद करीब 36 मिनट तक डाक्टर उन्हें नहीं मिल पाए। अन्य कई ओपीडी में इस वक्त दरवाजे बंद थे। तीमारदारों का कहना है कि इस वक्त कोई हॉफ टाइम नहीं था। इस समय वर्किंग समय था। इस दौरान डाक्टर ओपीडी में नहीं बैठने से मरीजों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा। स्वास्थ्य विभाग का दावा रहता है कि हर दिन मरीजों को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं, लेकिन इस तरह डाक्टरों की लापवाही मरीजों पर कई समय में भारी पड़ सकती है। मीडिया ने जब मौके पर जाकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व चिकित्सा अधीक्षक से इस बारे जानकारी ली तो इसके बाद डाक्टर ओपीडी में आने शुरू हो गए।