ज्वार में भोले बाबा के जयकारों की गूंज

शिव महापुराण कथा में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण जी महाराज ने भक्तों को किया निहाल
निजी संवाददाता-मैड़ी
जागृति, स्वप्न, सुषुप्ति इन तीनों अवस्थाओं में भी चौथी तुरीय अवस्था ऐसी ही पिरोई हुई है जैसे मनकों के बीच में धागा। सोए हुए भी तुम्हारे भीतर कोई जागा हुआ है। स्वप्न देखते हुए भी भी तुम्हारे भीतर कोई देखने वाला स्वप्न के बाहर का है। जागते हुए भी, कार्य करते समय भी तुम्हारे भीतर कोई साक्षी मौजूद है, तुम कितने गहरे सोच जाओ तो भी अपने को खो न सकोगे, जो तुम हो,वह तो मौजूद ही रहेगा दब जाए,छिप जाए विस्मरण हो जाए पर नष्ट नहीं हो सकता। उक्त कथासूत्र शिव महापुराण कथा के छठे दिवस में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण जी महाराज ने सामुदायिक भवन ज्वार में कहें। उन्होंने कहा कि ऊपर से तुम कितने ही भटक जाओ वह सब भटकाव परिधि का है। तुरीय अवस्था को पाना नहीं है, अपितु आविष्कृत करना है। वह छिपी पड़ी है जैसे कोई खजाना दबा हो, मात्र माटी की थोड़ी सी परतें दें और तुम सम्राट हो जाओ कहीं खोजने जाना है।

तुम्हारा खजाना तुम्हारे भीतर है और इसकी झलक भी तुम्हें निरंतर मिलती रहती है लेकिन तुम उस झलक पर ध्यान नहीं देते उन्होंने कहा कि मनुष्य की ब्रह्माकार वृत्ति असंख्य सद्गुणों का भंडार है। हमारी आयु निरंतर बीती जा रही है। समय कम है और काम बहुत ज्यादा इसलिए एक-एक क्षण को व्यर्थ ना गंवाए। प्रभु की असीम कृपा होने पर भी हम रोते रहते हैं,यह हम सब का अज्ञान ही तो है। भगवान की कथा बार-बार सुनने से बुरी आदतें छूटती जाती हैं। शिव जी की कथा सुनने की तो इतनी महिमा है कि जिन पापों का कोई प्रायश्चित नहीं है उनसे भी व्यक्ति मुक्त हो जाता है। आज कथा में जालंधर दैत्य एवं वृंदा का प्रसंग, शंखचूड़ एवं तुलसी देवी का वृत्तांत, बाणासुर की कथा, पंचाक्षर मंत्र की महिमा, शिवार्चन में भस्म एवं रुद्राक्ष का महत्व सभी श्रद्धालुओं ने बड़े उत्साह व श्रद्धा से सुना।