वीरभद्र सिंह दूसरी बार बने थे सांसद; कांगड़ा लोकसभा सीट का हुआ था उदय, महासू-चंबा-शिमला-हमीरपुर-कांगड़ा-मंडी में पंजीकृत थे 7.76 लाख वोटर
विशेष संवाददाता — शिमला
लोकसभा चुनाव के इतिहास में वह तारीख भी दर्ज है, जब हिमाचल में चार नहीं, बल्कि छह संसदीय सीटें थी। प्रदेश के राजनीतिक इतिहास का छह सीटों के लिए यह पहला और आखिरी चुनाव था। चुनाव ने हिमाचल में जनसंघ के दखल के तौर पर भी पहचान बनाई है। सभी छह सीटें भले ही कांग्रेस ने जीती थीं, लेकिन उसे कांगड़ा और हमीरपुर में सबसे ज्यादा कांटे की टक्कर देखने को मिली थी। यहां जीत का अंतर हमीरपुर में 2.8 फीसदी, तो कांगड़ा में चार फीसदी रहा था। इतिहास के पन्नों को खंगालें, तो 1967 में देश की संसद का चौथा लोकसभा चुनाव था और इस बार हिमाचल में महासू, शिमला, हमीरपुर, कांगड़ा, चंबा और मंडी सीटें दांव पर थीं। 1967 में सात लाख 76 हजार 764 लोगों ने मतदान किया था। इन चुनाव में महासू सीट से पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह दूसरी बार सांसद चुने गए थे।
वीरभद्र सिंह ने अपने प्रतिद्वंद्वी एन किशोर को 59 हजार 510 मतों के अंतर से पराजित किया था। इससे पूर्व 1962 में भी वीरभद्र सिंह इसी सीट से सांसद चुने जा चुके थे। कांगड़ा सीट का 1967 में पहली बार उदय हुआ था। जनसंघ ने तीन सीटों कांगड़ा, हमीरपुर और शिमला में अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। कांगड़ा में सरवण कुमार को कांग्रेस के एच राज ने 5402 मतों से शिकस्त दी थी। चंबा से कांग्रेस प्रत्याशी केबी प्रकाश को 4861 वोटों के अंतर से हराया था, जबकि मंडी सीट पर कांग्रेस केएल सेन ने निर्दलीय इंद्र सिंह को 34 हजार 265 मतों के अंतर से पराजित किया था। इसके अलावा अन्य सीटों की बात करें शिमला से कांग्रेस के पी सिंह ने बीजेएस के एस सिंह को 33 हजार 130 मतों से पराजित किया था। हमीरपुर की सीट पर कांग्रेस के पीसी वर्मा ने बीजेएस के जगदेव चंद को 3243 मतों से हराया था। 1971 में महासू और चंबा सीटें इतिहास में दर्ज हो गई।
1957 में पहली बार मिले थे चार सांसद
1957 में संसदीय सीटों की संख्या को दो से बढ़ाकर तीन किया गया था, जबकि सांसदों की संख्या चार हो गई थी। महासू में यशवंत सिंह और नेक राम दो सांसद चुने गए थे। वहीं, जोगेंद्र सेन और चंबा से पदम देव हिमाचल की अगवाई करने दिल्ली पहुंचे। 1962 में चंबा और सिरमौर की सीटों को अलग-अलग कर दिया गया। चंबा से कांग्रेस के चतर सिंह, मंडी से ललित सेन, महासू सीट से वीरभद्र सिंह और सिरमौर से प्रताप सिंह लोकसभा का चुनाव जीते थे।
दो सीटों से शुरू हुआ हिमाचल का सफर
हिमाचल का लोकसभा में सफर महज दो सीटों से शुरू हुआ था। 1951 में हुए पहले आम चुनाव में हिमाचल के हिस्से मंडी महासू और चंबा सिरमौर की दो ही सीटें थीं। हालांकि चुनाव के बावजूद हिमाचल को तीन सांसद दिए गए थे। इनमें मंडी-महासू सीट से अमृत कौर और गोपी राम पहले सांसद बने थे, जबकि चंबा-सिरमौर की सीट पर चुनाव हुआ था। एआर सेवल ने बीजेएस के एचएस बाम को 16 हजार 586 मतों से पराजित किया था। तीनों ने पहली बार प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया था।