90 के दशक में कम थी अभिनेत्रियों की फीस

जितनी हीरो की एक फिल्म की फीस थी, उतनी हीरोइन को 15-16 फिल्में करने पर मिलती थी

आजकल की हीरोइनें किस्मतवाली, जल्द मिल जाती हैं अच्छी फिल्में

एजेंसियां—मुंबई

90 के दशक की हिट अभिनेत्रियों में से एक रवीना टंडन ने अपनी फिल्मी करियर पर कहा है कि उन्हें बाद में महसूस हुआ कि वह अपने करियर में स्टीरियोटाइप्ड हो गई थीं, क्योंकि उस दौर में एक्ट्रेसेस के पास काफी कम च्वाइस हुआ करती थीं और उन्हें अपनी मर्जी से कुछ भी चुनने की आजादी नहीं थी। रवीना ने कहा कि जब मैंने अपने करियर की शुरुआत की, तो स्टीरियोटाइपिंग बहुत ज्यादा थी। हम एक वक्त में एक-दो फिल्में नहीं बल्कि 10-12 फिल्मों में काम करते थे। उस समय सोच यह हुआ करती थी कि फिल्म का डायरेक्टर बड़ा है या उसमें कोई बड़ा स्टार है, तो फिल्म सुपरहिट हो जाएगी। उस दौरान सिलेक्शन पर इतना फोकस नहीं हुआ करता था। उस दौर में एक्ट्रेसेस की फीस भी ज्यादा नहीं हुआ करती थी। जो हीरो एक फिल्म से कमा लेता था, एक्ट्रेसेस को उतना कमाने के लिए 15-16 फिल्में करनी पड़ती थीं।

तब कोई करियर प्लानिंग नहीं थी, इसलिए हमें खुद को स्थापित करने में काफी वक्त लगा। रवीना ने आगे कहा, आज एक्ट्रेसेस के साथ पहले जैसी स्थिति नहीं हैं। अब फीमेल स्टार्स बेहतर पोजीशन में हैं। अब उन्हें अच्छे रोल करियर के शुरुआत में ही मिल रहे हैं। अब समय बदल गया है। अब ओम शांति ओम के बाद दीपिका पादुकोण को पांच-छह फिल्मों के बाद ही बाजीराव मस्तानी जैसी फिल्म मिल जाती है, जबकि हमारे दौर में तो बहुत लंबे करियर के बाद या 20 फिल्मों के बाद ऐसी फिल्म में काम करने का मौका मिलता।