हिमालयन गद्दी यूनियन देगी कैंडीडेट

धर्मशाला में किया चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान, वंचित उपजातियों से नहीं जुड़ा गद्दी शब्द

स्टाफ रिपोर्टर-धर्मशाला
गद्दी समुदाय के नेताओं को चुनावी बेला में ऊनाली टल्ली यानी ऊन के वस्त्र पहनने वाले व ऊन का काम करने वाले भेड़पालक वाले लोगों का नारा देते हैं, लेकिन चुनावों के बाद भूल जाते हैं। लंबे समय से अपने हकों की लड़ाई लड़ रही गद्दी समुदाय की छह उपजातियों ने अब समुदाय के नेताओं व गद्दी समुदाय के विभिन्न मंचों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वंचित उपजातियों के नेताओं का कहना है कि समुदाय के नेताओं को वर्ष 2022 के बाद अब हमारी याद आई है। राजनीतिक तौर पर हमेशा हमारा शोषण होता रहा है, लेकिन अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह बात हिमालयन गद्दी यूनियन के प्रदेश प्रवक्ता रमेश भोला ने गुरुवार को धर्मशाला में प्रेसवार्ता में कही। गद्दी समुदाय की कुल 13 उपजातियों में से सात उपजातियों के लोगों ने कुछ दिन पहले धर्मशाला में बैठक की व कुल-मिलाकर वोटरों की संख्या विस क्षेत्र की 25 हजार बताई है, जो कि सही है। गद्दी समुदाय की वंचित उपजातियों के धर्मशाला में ही 18 हजार से अधिक वोटर हैं। गद्दी समुदाय की वंचित उपजातियों ने ही सांसद, मंत्री व विधायक बनाने में आजादी के बाद से ही बड़ा योगदान दिया है, लेकिन वंचित उपजातियों को हमेशा शोषण ही किया गया है और मात्र वोट बैंक की राजनीति के रूप में प्रयोग किया गया है। एक बार फिर से समुदाय की सात उपजातियां, वंचित उपजातियों को बरगलाने की कोशिश कर रही हैं।

यूनियन प्रवक्ता ने स्पष्ट कहा कि उनकी गद्दी शब्द से वंचित उपजातियों के साथ गद्दी शब्द नहीं जोड़ा जाता है, तो आने वाले समय में 2027 के चुनावों में पांच विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारेंगे। यूनियन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मंगत राम ने कहा कि 13 उपजातियों में से छह उपजातियों के साथ राजस्व अभिलेख में गद्दी शब्द जुड़ा है, जोकि बाद में हटाया गया है, 1867 के कांगड़ा के गजट में गद्दी शब्द जुड़ा है। गद्दी शब्द जुडऩा सही पाया गया है। मौजूदा समय में मात्र राजस्व रिकार्ड में किसी बड़ी गलती के कारण उप-जातियों के साथ गद्दी शब्द नहीं जुड़ा है, जबकि वह गद्दी समुदाय के तहत आते हैं, और संस्कृति व रहन-सहन, पहनावे से गद्दी है। उन्होंने कहा कि अब उन्हें इस बार के उपचुनाव में भी अपना उम्मीदवार उतारेंगे। ऐसे में उन्होंने गद्दी समुदाय की अन्य सात उपजातियों से उनका साथ देने का आह्वान किया है। उनका सीधे तौर पर कहना है कि आजादी के बाद से लगातार वह अपने समुदाय का साथ देते रहे हैं, ऐसे में अब उनमें से कोई व्यक्ति आगे बढक़र चुनाव लड़ता है, तो सभी समुदाय के लोगों का साथ देना होगा, जिससे वर्षों से लंबित वंचित उपजातियों के साथ गद्दी शब्द जोडऩे की मांग विधानसभा के अंदर भी जोर-शोर से उठाई जाए। इस मौके पर हिमालय गद्दी यूनियन की राज्य कार्यकारिणी के सभी पदाधिकारी विशेष रूप से मौजूद रहे।