लोकसभा चुनाव में पार्टी फंड के सहारे होंगे नेता, 2019 इलेक्शन में कांग्रेस-भाजपा ने खूब किया था खर्च
राकेश शर्मा — शिमला
समूचे भारत में कांग्रेस के खाते सीज होने और एसबीआई इलेक्टोरल बांड पर मचे हो-हल्ले से साफ हो गया है कि लोकसभा का चुनाव सस्ता नहीं है और जिसकी जेब जितनी मोटी होगी, वह उतनी ही बड़ी टक्कर दे सकता है। लोकसभा चुनाव में पहाड़ पर भी पानी की तरह पैसा बहाया जाता है। उम्मीदवारों को राजनीतिक पार्टियां भी खुलकर मदद करती आई हैं। चुनाव आयोग को भेजी खर्च डिटेल में साफ जाहिर है कि हिमाचल में 2019 का चुनाव भारी भरकम बजट के साथ लड़ा गया था। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में एक लाख 20 हजार रुपए अकेले कोल्ड ड्रिंक पर खर्च हुए थे। खास बात यह है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों को भारी-भरकम फंड मुहैया करवाया था। पार्टी फंड के मामले में भाजपा ने चारों सीटों पर सबसे ज्यादा धनराशि खर्च की है। उस समय के पूर्व सांसद स्व. रामस्वरूप शर्मा को पार्टी फंड से सबसे ज्यादा 35 लाख, शिमला से चुनाव लड़ रहे सुरेश कश्यप को 27 लाख 67 हजार, हमीरपुर से अनुराग ठाकुर को 23 लाख, जबकि कांगड़ा में किशन कपूर को 20 लाख रुपए दिए गए थे।
कांग्रेस की तरफ से मंडी संसदीय सीट पर चुनाव लड़ रहे आश्रय शर्मा को पार्टी फंड से कोई भुगतान नहीं किया गया था। आश्रय शर्मा ने अपना चुनाव खर्च 57 लाख 66 हजार 435 रुपए दर्ज करवाया है। इसमें पार्टी फंड का कोई जिक्र शामिल नहीं है, जबकि कांग्रेस ने शिमला संसदीय सीट से प्रत्याशी कर्नल धनी राम शांडिल को सर्वाधिक 40 लाख रुपए पार्टी फंड से चुनाव लडऩे के लिए दिए गए थे। कांगड़ा से उस समय के प्रत्याशी पवन काजल और हमीरपुर से रामलाल ठाकुर को भी 40-40 लाख रुपए पार्टी फंड से दिए गए थे। कांग्रेस इस चुनाव में चारों ही सीटें भारी मतों के अंतर से हार गई थीं। अब दोबारा लोकसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है और भारी-भरकम खर्च को देखते हुए कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल तैयारी कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में बड़े खर्च का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस के दिग्गज चेहरे चुनाव लडऩे से परहेज करने लग गए हैं। वहीं, प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने चुनाव प्रचार पर होने वाले खर्च पर चिंता जताई थी।