ट्रेन ट्रैक का विस्तार तो दूर… गाडिय़ां भी बंद

लोकसभा चुनाव में रेल के खेल से चढ़ेगा कांगड़ा का सियासी पारा,सरकार की अनदेखी से लोग महंगा सफर करने को मजबूर
निजी संवाददाता-नगरोटा सूरियां
आगामी लोकसभा चुनाव में रेल का खेल कांगड़ा के सियासी पारे को चढ़ाने वाला है। कनेक्टिविटी में कभी कांगड़ा जिला में रेलवे का अहम स्थान था, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार और हिमाचली नेताओं की नाकामी से कांगड़ा घाटी रेल ठप है। मौजूदा समय में बैजनाथ से कांगड़ा तक दो गाडिय़ां चलती हैं। नूरपुर चक्की पुल टूटने के बाद वहां से गुलेर तक ट्रेन नहीं चलती। रोजाना इस रूट पर हजारों लोग सफर करते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेल को लेकर कई वादे किए थे, लेकिन इनपर काम नहीं हुआ। आलम यह है कि रानीताल में खराब ट्रैक को ही हमारे नेता व रेलवे ठीक नहीं कर पाए हैं। ब्रिटिश काल की रेलवे लाइन का एक इंच भी आगे न सरकना और इसे आज भी ब्राडगेज न बना पाना जनता को अखर रहा है। देश सहित प्रदेश के अन्य हिस्सों में रेलवे कनेक्टिविटी पर काम होने के बावजूद पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेलवे लाइन की केंद्र सरकार और भाजपा सांसदों द्वारा जनहित मुद्दों की अनदेखी लोगों को अखर रही है। लोकसभा चुनावों के लिए प्रदेश के दोनों बड़े सियासी दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। इसी तरह भाजपा नेता संजय गुलेरिया कहते हैं कि रेलवे पर मोदी सरकार ने काम किया है, लेकिन कांगड़ा घाटी में अभी काफी काम बाकी है।

दूसरी ओर अब इस मसले पर कई सामाजिक संगठनों ने भी उठाना शुरू कर दिया है। इस बार आलोचना का केंद्र भाजपा की मोदी सरकार है। युवा राहुल कहते हैं कि हर दिन विकास का दम भरने वाली भाजपा शायद भूल गई है कि कांगड़ा और मंडी जिलों को सवा साल से जोड़ती आ रही कांगड़ा घाटी ट्रेन लगभग दो साल से पटरी से उतरी हुई है। ब्राडगेज का तो अब केंद्र सरकार नाम ही नहीं लेती है। किसी समय कांगड़ा में ब्राडगेज लाइन बिछाना भाजपा की प्राथमिकता में था। संजीव का कहना है कि ब्रिटिश काल में बनी रेलवे लाइन का विस्तार लंबे समय बाद भी न हो पाना इस बार लोकसभा चुनावों में बड़ी चुनौती रहने वाला है क्योंकि ब्रिटिश राज के बाद से आज तक कांगड़ा रेलवे ट्रैक के विस्तार के बारे में किसी भी सरकार ने नहीं सोचा। इसलिए आगामी लोकसभा चुनावों में रेल का विस्तार न होना भी बड़ा मुद्दा उभर कर सामने आएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि देश की आजादी के इतने सालों के बाद भी कांगड़ा की रेलवे एक इंच आगे नहीं बढ़ पाई है। युवा सुनील कहते हैं कि रेलवे लाइन के साथ रहने वाले लोगों का कहना है कि पठानकोट-जोगिंद्रनगर ट्रैक का विस्तार करना तो बड़ी दूर की बात है, लेकिन जो सुविधा मिल रही थी वह भी अब कम होने लगी है क्योंकि चक्की दरिया पर बने पुल के बहने से पठानकोट से रेलगाड़ी की आवाजाही बंद हो गई है। इसके चलते लोगों को इसका पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। रेलवे के साथ हिमाचल के नेताओं को इस दिशा में काम करना चाहिए।