ये देखो हाल… इमरेजेंसी में नहीं देखे जाते गंभीर मरीज

हमीरपुर अस्पताल में पेट दर्द से तड़पती बेटी को नहीं मिला उपचार

दिव्य हिमाचल ब्यूरो-हमीरपुर
किसी भी अस्पताल में इमरजेंसी यानि आपातकालीन वार्ड बनाए जाते हैं, ताकि 24 घंटे वहां चिकित्सक मौजूद रहें और क्रिटिकल कंडीशन में आने वाले हर मरीज को यहां प्राथमिकता के आधार पर चिकित्सा सुविधा दी जाए, लेकिन हमीरपुर जिले में यह सुविधा बेमानी नजर आ रही है। सच्चाई यह है कि यहां इमरजेंसी में आए मरीज को तत्काल कोई उपचार दिए बिना ही एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए भटकाया जाता है। हालात ये हो जाते है कि आपातकाल में उपचार के लिए लाए मरीज की हालत और ज्यादा गंभीर हो जाती है। उस बात का खुलासा उस वक्त हुआ जब अपनी बेटी को गंभीर हालत में इमरजेंसी में लाए एक पिता को अस्पताल की लचर व्यवस्था ने उलझाए और घुमाए रखा। अस्पताल प्रबंधन भी मानता है कि इमरजैंसी में केवल एमबीबीएस लेवल का डाक्टर होता है।

लिहाजा यहां विशेषज्ञ न होने से बच्चों को दवा देने से डाक्टर डरते हैं। दअरसल मंगलवार को दोपहर बार जब परिजन पेट दर्द से कहरा रही अपनी बेटी को लेकर इंमरजेंसी में पहुंचे, तो वहां स्थित डाक्टर आपातकाल में आए मरीज को देखने के बजाए अपनी कुछ लिखा पड़ी में व्यस्त रहा। बाद में उसके पूछने पर परिजनों ने दर्द के बारे बताया, तो उसने बिना शुरूआती उपचार देने के बजाए रूम नंबर 408 जो अस्पताल के तीसरे फ्लोर पर है, वहां जाने को कहा। परिजनों ने बताया कि वे जैसे तैसे बेटी को लेकर 408 पहुंचे तो वहां से उन्हें ग्राउंड फ्लोर में स्थित 104 में जाने को कह दिया। वे वहां से 104 में करीब सवा तीन बजे ओपीडी में पहुंचे तो भीड़ होने के चलते वहां स्थित लेडी सिक्योरिटी गार्ड ने उन्हें अंदर ही नहीं जाने दिया। उधर बेटी लगातार दर्द से तड़प रही थी। काफी समय के बाद जब बेटी को अंदर भिजवाया तो साथ में उसके साथ आए एक भी परिजन को ये कह कर अंदर नहीं जाने दिया कि डाक्टर ने मना किया है।

टेस्ट करवाकर आए तो लगा था ताला
परिजनों ने बताया कि अंदर स्थित किसी डाक्टर ने दो टैस्ट करवाने के लिए लिखा। उन्होंने बताया कि जब दस मिनट में ही संबंधित टेस्ट करवाकर वापस 104 में करीब चार बजे पहुंचे तो वहां ताला लगा हुआ पाया। उन्होंने बताया कि संबंधित डाक्टर ने उन्हें ये तक नहीं बताया कि टेस्ट करवाकर रिपोर्ट दिखाने कहां आना है। वे अंदाजे से पुन: 408 में पहुंचे तो वहां स्थित डाक्टर ने उन्हें एक और टैस्ट करवाने को कह दिया। उन्होंने बताया कि जब वे दूसरी बार टैस्ट करवाकर पुन: 408 में पहुंचे तो बताया गया कि अब डाक्टर ओटी में चले गए हंै। ऐसे में आपातकालीन उपचार लेने पहुंचे परिजनों को दो घंटे से इधर से उधर भटकाया गया। अंतत: उन्होंने बाहर जाकर निजी अस्पताल में जाकर उपचार करवाया।

क्या कहता है मेडिकल कालेज प्रबंधन
मेडिकल कालेज के प्रिसींपल डा. रमेश भारती के अनुसार इमरजेंसी में केवल एमबीबीएस डाक्टर होता है। वहां कोई विशेषज्ञ नहीं होता। इसलिए यहां बच्चों को डाक्टर दवा देने से डरते हैं, फिर भी इसकी जांच की जाएगी।