दस्तावेज पूरे होने पर ही मिलेगा मालिकाना हक

1947 से पहले के जमीन पर कब्जे के प्रमाण पत्र या अन्य दस्तावेज होना जरूरी

सिटी रिपोर्टर—शिमला
नगर निगम शिमला में 1947 से पहले के कब्जाधारकों को जमीन का मालिकाना हक मिल रहा है। इसके लिए नगर निगम शिमला ने लोगों से आवेदन भी मांगे थे। इन आवेदनों में कई आवेदन ऐसे पाए जा रहे हैं, जिसमें लोगों ने अपने कब्जे के सही दस्तावेज जमा नहीं किए हैं। नगर निगम ने साफ कहा था कि जिस भी व्यक्ति का कब्जा 1947 से पहले का है तो उस समय का कोई बिल या अन्य दस्तावेज होने चाहिए, जो इस बात की गवाही दे कि उनका पुराना कब्जा है। ऐसे ही आठ मामले नगर निगम ने रद्द कर दिए हैं। इसके अलावा अन्य लोगों के दस्तावेजों की जांच भी की जा रही है।

इसके साथ ही जिन लोगों के दस्तावेज पूरे नहीं है, उनसे भी दस्तावेज पूरा करने का समय दिया गया है। हालांकि शर्त यह है कि जमीन पर उनका कब्जा इस तारीख से पहले का है, इसका पुख्ता प्रमाण भी पेश करना होगा। बिल या अन्य कोई रसीद भी आवेदन के साथ दी जा सकती है। शहर में किसी भी गरीब परिवार के पास इस समयावधि का दस्तावेज नहीं मिला है। नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री का कहना है कि अभी तो जो भी आवेदन मिले हैं, वे शर्तें पूरी नहीं कर पाए हैं। हिमाचल प्रदेश स्लमवासी अधिनियम 2022 के अनुसार इन परिवारों को कब्जा की गई 75 वर्ग मीटर तक की जमीन का मालिकाना हक दिया जाना है। खास बात यह है कि जहां तक संभव होगा, गरीब परिवारों को वहीं पर जमीन दी जाएगी। इसके अलावा बाकी जगहों पर भी निगम इन्हें जमीन आबंटित कर सकता है। पिछली भाजपा सरकार ने इस योजना को मंजूरी दी थी।