कागजों में ‘झूल’ रहा पालमपुर का ‘रोप-वे’

साढ़े तीन दशक पहले बनी योजना अभी तक अधर में, मंजूर पैसे का इस्तेमाल न किए जाने से वापस करना पड़ा सारा बजट

जयदीप रिहान – पालमपुर
पालमपुर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए यहां पर एक रोप-वे निर्माण की योजना करीब साढ़े तीन दशक पूर्व बनाई गई थी। बीते समय में रोप-वे निर्माण पर राजनीति प्रभावी रही, प्रदेश में जब-जब भाजपा सरकार सत्ता में आई तो न्युगल पार्क के समीप बनने वाले रच्जू-मार्ग की चर्चा शुरू हुई और कांग्रेस के सत्ता में आने पर यह मुद्दा फिर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता रहा। हालांकि पालमपुर में रोप-वे निर्माण की आस पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी जगाई थी।

पूर्व कांग्रेस सरकार के दौरान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने बंदला-स्नोलाइन रेंज रोप-वे को हरी झंडी देकर पालमपुर की जनता का सपना साकार करने की बात कही थी। तत्कालीन विधायक बीबीएल बुटेल ने न्यूगल से थातरी तक रोप-वे की मांग रखी थी, जिसे मुख्यमंत्री ने स्वीकार कर लिया था। पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार द्वारा इस संदर्भ में किए गए प्रयासों के बाद प्रदेश सरकार ने पालमपुर की इस महत्त्वाकांक्षी योजना के लिए हामी भर दी और रोप-वे का सर्वे करवाए जाने की बातें सामने आई। प्रदेश सरकार ने रोप-वे निर्माण को कैबिनेट में भी मंजूरी दी थी। गौरतलब है कि सांसद शांता कुमार के प्रयास से रोप-वे कहां से कहां तक बनाया जाएगा, इसके लिए जगह का चयन भी उसी दौरान कर लिया गया था। उस समय केंद्र में अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार सत्ता में थी व शांता कुमार केंद्रीय मंत्री थे। योजना के तहत पालमपुर में प्रस्तावित रच्जू-मार्ग के लिए 80 लाख रुपए की राशि भी मंजूर कर दी गई थी। सब कुछ योजनानुसार चल रहा था और केंद्र से 80 लाख रुपए भी मिल गया था पर इसी दौरान कुछ ऐसी परिस्थितियां बनीं, जिस कारण प्रदेश सरकार ने रोप-वे निर्माण को लेकर उदासीनता दिखाई और यह काम शुरू नहीं किया जा सका। तयसमय सीमा के भीतर काम शुरू न किए जाने व मंजूर पैसा इस्तेमाल न किए जाने से सारा पैसा वापस करना पड़ा था। बीते वर्ष एक बार फिर रोप-वे निर्माण की योजना को बल मिला, जब केंद्र सरकार ने इसके लिए करीब 650 करोड़ रुपए स्वीकृत किया, लेकिन बंदला से थातरी और चुंज धार तक बनने वाले करीब 13 किमी लंबे रोप-वे का काम शुरू नहीं हो पाया। -एचडीएम