शाहनहर परियोजना अनदेखी की शिकार

13 साल में ही हो गई धराशायी, फतेहपुर और इंदौरा के 93 गांवों की 15290 हेक्टेयर भूमि की होनी थी सिंचाई

निजी संवाददाता-जवाली
विधानसभा क्षेत्र फतेहपुर के अधीन 13 वर्ष पहले निर्मित हुई शाहनहर परियोजना अनदेखी के कारण अंतिम सांसें गिन रही है। इस परियोजना से विस क्षेत्र फतेहपुर तथा इंदौरा के 93 गांवों के किसानों की 15290 हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया जाना था। वर्ष 1987 में शाहनहर परियोजना प्रोजेक्ट का ऐतिहासिक समझौता पंजाब सरकार और हिमाचल सरकार के बीच हुआ था जिसकी प्रारंभिक लागत 143 करोड़ अनुमानित थी लेकिन लगातार राजनीति उदासीनता व परियोजना में देरी से कार्य होने के कारण लागत 390 करोड़ तक पहुंच गई। सिंचाई परियोजना निर्माण से 13 वर्षों के अंतराल के बीच ही धराशायी हो गई।

अब यह शाहनहर जगह-जगह से टूट चुकी है। चैनल पूरी तरह तबाह हो चुके हैं तथा मुख्य नहर गंदगी तथा झाडिय़ां से भर चुकी है। सिंचाई के लिए बनाए गए आउटलेट का नामोनिशान मिट चुका है। सिंचाई के लिए लगाए गए ट्यूबवेल कई वर्षों से बंद पड़े हैं जिनकी हालत खराब है। इसका निर्माणकार्य वर्ष 1998 में शुरू हुआ था तथा इसे वर्ष 2002 से 2003 तक निर्धारित समय में तैयार करने का लक्ष्य रखा गया था। निर्धारित समय से 12 साल बाद तैयार किया गया और इसकी अनुमानित लागत 143 करोड़ से बढक़र 390 करोड़ तक पहुंच गई। लोगों ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि करोड़ों की लागत से निर्मित शाहनहर परियोजना को दुरुस्त करवाकर किसानों की जमीनों को सिंचाई सुविधा मुहैया करवाई जाए।

सहायक अभियंता के बोल
परियोजना बड़ूखर के सहायक अभियंता हरजिंदर सिंह ने बताया कि बरसात की वजह से आइटलेट व चैनल टूट चुके हैं जिनकी रिपेयर की जा रही है।

रे पंचायत प्रधान के बोल
ग्राम पंचायत रे की प्रधान ऊषा रानी ने बताया कि उनकी पंचायत में 70 प्रतिशत पाइपें धराशायी हो चुकी हैं। सिंचाई के लिए जो पानी लिफ्ट किया गया था वो बंद है।