स्टांप पेपर बंद, लोगों के काम रुके

कार्यालय संवाददाता-मंडी
प्रदेश सरकार ने स्टॉंप पेपरों को स्टॉंप वेंडरों के माध्यम से बेचने की पुरानी प्रणाली को पहली अप्रैल से बंद कर दिया है ऐसे में अब लोगों को अपने काम करवाने के लिए पहले की तरह सीधे वेंडरों के पास से स्टांप पेपर नहीं मिल रहे हैं। पहले से बचे स्टॉक से किसी तरह से काम चला रहे हैं। मगर नए स्टांप जारी न होने से इनकी परेशानी बढ़ गई है। प्रदेश में लगभग 800 स्टॉंप वेडर काम कर रहे हैं। जिनकी रोजी रोटी पर तलवार लटक गई है। बुधवार को मंडी स्टॉंप बैंडर यूनियन ने एक बैठक करके पैदा हुई स्थिति पर पर गहन चिंतन किया। प्रधान ज्योति शर्मा की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक के बारे में सचिव सुरेंद्र कुमार ने बताया कि उपायुक्त मंडी को इस बारे में ज्ञापन दिया गया। उन्हें बताया कि सरकार के कैबिनेट फैसले के अनुसार पहली अप्रैल से हार्ड प्रति के तौर पर स्टॉप पेपर वेंडरों को नहीं दिए जा रहे हैं। मगर इसका विकल्प क्या होगा इस बारे में कोई भी दिशा निर्देश प्रदेश भर में कार्यरत वेंडरों को नहीं दिए गए हैं। इस कारण से प्रदेश के वेंडरों के पास लगभग 50 लाख का पुराना स्टॉक भी रूक गया है। जो बिक नहीं रहा है।

अधिकारी पुराने स्टॉंप पेपरों को फिजिकल तौर पर अस्वीकार कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि सरकार ने यह सारा काम किसी कंपनी को सौंप दिया है। जिसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी लोगों को नहीं है। ऐसे में लोग भी भटक रहे हैं। जरूरी काम रुक गए हैं। वेंंडरों ने उपायुक्त आग्रह किया है कि स्टॉंप वेंडर एक्ट की संशोधित अधिसूचना 2005 व 2023 के आदेशानुसार स्टांप वेंडर, बैंक, पोस्ट ऑफिस को विक्रेता घोषित किया जाए, आनलाइन कामीशन को बढ़ाया जाए, सभी वेंडर को तहसील परिसरों में बैठने व उनके लिए वहां पर बिजली पानी की समुचित व्यवस्था उपलब्ध करवाई जाए, इस कार्य को किसी कंपनी या लोक मित्र केंद्रों को न दिया जाए क्योंकि वहां पर आम जनता को ज्यादा भुगतान करना होगा। यह भी कहा गया कि यदि पहले से चली रही व्यवस्था को बहाल नहीं किया जाता है तो यूनियन प्रदेश स्तर पर रणनीति बनाकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी।