छह साल से सर्वे पर सर्वे, फिर भी जलोड़ी टनल का सपना अधूरा

सुरंग बनने से 69 पंचायतों के लोगों को मिलेगी सुविधा; राजनेता टनल को बनाते रहे हैं चुनावी मुद्दा, अभी धरातल पर नहीं उतरी योजना

कार्यालय संवाददाता-कुल्लू
प्रस्तावित जलोड़ी टनल का सपना कब साकार होगा। आनी विधानसभा क्षेत्र के लोग लंबे समय से इंजार कर रहे हैं। हालांकि 2018 से लेकर लगातार टनल के सर्वे होते रहे, लेकिन धरातल पर अभी तक योजना उतर नहीं पाई है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान नेताओं ने जिला कुल्लू की प्रस्तावित जलोड़ी टनल को मुद्दा तो बनाया, लेकिन जब नेता सत्ता में आए, उसके बाद भूलते गए। हालांकि पिछले छह महीने पहले भी टेंडर प्रक्रिया का दावा पेश हुआ था। लेकिन अब तक धरातल पर कुछ नहीं दिख रहा है। लिहाजा, शासन-प्रशासन के सब्जबागों में ही आनी की जनता आती रही।

सर्दियों में बर्फबारी होने से जलोड़ी जोत दर्रा नवंबर से मार्च के प्रथम सप्ताह तक वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से बंद हो जाती है। ऐसे में लोगों को मंडी जिले के करसोग होकर आना जाना पड़ता है। शिमला जिले के लूहरी से कुल्लू की दूरी 120 किलोमीटर के आसपास है। दर्रा बंद होने से लुहरी से करसोग होकर कुल्लू की दूरी 220 किलोमीटर हो जाती है। कुल्लू जिले के आनी व निरमंड क्षेत्र के लोगों को सबसे अधिक दिक्कत का सामना करना पड़ता है। बता दें कि जलोड़ी टनल बनने से जिला कुल्लू के दुर्गम विधानसभा क्षेत्र की 69 पंचायतों के लोगों को सुविधा मिलेगी। जिला मुख्यालय कुल्लू आना लोगों को आसान रहेगी। एनएच-305 सैंज लूहरी औट मार्ग के मध्य 10280 फुट की ऊंचाई पर स्थित जलोड़ी दर्रा इन दिनों भारी बर्फबारी के चलते यातायात व लोगों के आवागमन के लिए पूरी तरह से बंद पड़ता है। ऐसे में टनल बेहद जरूरी है।

बर्फ बनती है लोगों के सफर में बड़ी चुनौती
आनी के लोगों का कहना है किजिला मुख्यालय कुल्लू जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग वाया बसंतपुर व वाया रोहांडा अति दूर होने से लोग कई बार मजबूरन करीब आठ फुट ऊंची बर्फ की दीवार को लांघकर वाया जलोड़ी दर्रा से होकर ही भारी जोखिम उठाकर पैदल सफर तय करते हैं।

टेंडर होने की बात हुई..अभी हकीकत में कुछ नहीं
हालांकि कुछ समय पहले केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय से दिल्ली की बहुराष्ट्रीय कंपनी अल्टीनौक को टेंडर मिला है, लेकिन अभी तक कंपनी ने कार्य शुरू नहीं किया है। नेशनल हाईवे के अधिकारियों ने निर्माता एजेंसी को अवार्ड लैटर भी जारी करने की भी सूचना थी, लेकिन अब कहां पर पेंच फंसा है, जनता यह जानना चाहता है।