आपदा में भाजपा नेताओं ने जिम्मेदारी से क्यों मुंह मोड़ा था

शिक्षा मंत्री व शिमला संसदीय क्षेत्र के कांग्रेस प्रभारी रोहित ठाकुर ने दागे सवाल, केंद्र सरकार को भी घेरा

स्टाफ रिपोर्टर-सोलन
शिमला संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस निवर्तमान सांसद के निराशाजनक कार्यकाल व भाजपा की प्रदेश सरकार को गिराने की नाकामयाब हरकत को लेकर लोकसभा चुनाव में उतरेगी। यह बात प्रदेश के शिक्षा मंत्री व शिमला संसदीय क्षेत्र के कांग्रेस प्रभारी रोहित ठाकुर ने कही। सोमवार को सोलन में आयोजित संयुक्त पत्रकारवार्ता में उन्होंने कहा कि प्रदेश में आई भीषण प्राकृतिक आपदा के दौरान भाजपा सांसद व भाजपा नेताओं के अपनी जिम्मेवारी से भागने पर भी सवाल पूछे जाएंगे। इसके अतिरिक्त स्थानीय मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी प्रदेश की चारों लोकसभा सीटों सहित 6 उपचुनाव भी जीतेगी। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि जब ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी तो पूर्व भाजपा सरकार विरासत के रूप में 76 हजार करोड़ रुपए का कर्ज व 10 हजार करोड़ रुपए की देनदारियां छोड़ गई थी। इसके बावजूद सरकार ने बेहतरीन ढंग से अपने दायित्व का निर्वहन किया और आज भी कर रही है। संसाधनों व आर्थिक तंगी और प्रदेश में आई भीषण आपदा के बाद भी चुनावों में जनता से किए गए वादों और गारंटियों को चरणबद्ध ढंग से पूरा किया जा रहा है और 15 माह के भीतर ही 5 गारंटियां पूरी कर दी गई हैं।

प्रदेश में आई आपदा में सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवाई, 15 हजार मकान क्षतिग्रस्त हुए और सैकड़ों बीघा भूमि बह गई। इस आपदा में प्रदेश को 12 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, लेकिन केंद्र सरकार ने हिमाचल की कोई मदद नहीं की। सीएम सुक्खू ने अपनी जमापूंजी के 51 लाख रुपए भी आपदा राहत कोष में दान दिए, लेकिन उस आपदा के वक्त भाजपा के नेता गायब रहे। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सुखविंद्र सिंह सुक्खू सरकार का 15 माह का कार्यकाल उपलब्धियों भरा रहा है। इस दौरान आपदा से बखूबी निपटने के अलावा ओपीएस को बहाल किया गया, अनाथ बच्चों के लिए सुखाश्रय योजना के अलावा नारी स मान योजना प्रमुख रही। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि एक साल से भाजपा नेता महिलाओं को 15 सौ रुपए न मिलने का रोना रोते रहे और जब सरकार ने चुनावों से पहले अधिसूचना जारी कर दी तो इस योजना के फार्म न भरने की शिकायत को लेकर चुनाव आयोग के पास पहुंच गए।