पांवटा साहिब में अवैध खनन से यमुना नदी का हो रहा सीना छलनी

प्रशासन-सरकार की अनदेखी से नदी का अस्तित्व खतरे में, सरेआम निकाली जा रही रेत-बजरी

धीरज चोपड़ा – पांवटा साहिब
पांवटा साहिब यमुना नदी के तट के किनारे बसा हुआ एक शहर है। यहां लगभग सैकड़ों सालों से मां यमुना बह रही है परंतु अब यमुना नदी की हालत अवैध खनन से बहुत खराब हो गई है। यमुना नदी खुद कह रही है कि मैं भगवान श्रीकृष्ण ब्रज संस्कृति के जनक तो मैं जननी हूं। जन्म से किशोरावस्था तक श्रीकृष्ण ने अधिकतर लीलाएं मेरे ही तट पर की थी। सदियों तक लोगों ने मेरा आचमन कर शुभ काम किए, मगर अब मैं संकट में हूं। प्रदूषण की चपेट में हूं। कराह रही हूं। सांसें अटकी हैं। अकाल मौत की तरफ बढ़ रही हूं। कोई सुध नहीं ले रहा। जिसे पुकारती हूं वह कुछ दिन तो मुझे याद रखता है परंतु उसका काम निकलते ही मुझे नाले के रूप में छोड़ जाता है। आज फिर मुझे एक भगीरथ की तलाश है। हिमाचल, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की सियासत में मेरा अहम रोल रहा है। इन राज्यों की प्यास बुझाने वाली यमुना अब सियासतदानों और सिस्टम ने प्यासी बना दिया है। पांवटा में खनन माफियाओं के चलते नाले के रूप में उतरी यमुना सरकार और सामाजिक संस्थाओं की तमाम व्यवस्थाओं को कटघरे में खड़ा कर रही है।

यमुना को जीवित रखने के लिए बैराज से 352 क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है जो तपती गर्मी और रेत में चंद किलोमीटर में सूख जाता है। फैक्ट्रियों के अलावा नगर परिषद के नाले, सीवरेज ट्रीटमेंट का दूषित पानी भी जीवनदायिनी यमुना में छोड़ा जा रहा है। गौर हो कि यमुना नदी की गंगा के बराबर धार्मिक मान्यता है। पांवटा साहिब का अस्तित्त्व यमुना नदी से है। यमुना नदी गुरुद्वारा पांवटा साहिब के साथ स्थित है तथा सैकड़ों श्रद्धालु हर दिन यहां आकर स्नान करते हैं, परंतु आज यमुना नदी दूरदर्शिता का शिकार हो रही है। यदि किसी भी सरकार की मंशा होती तो गंगा की तरह विकसित होती। यहां विदेश से लोग आते, कारोबार बढ़ता और उनकी आर्थिक दशा बेहतर होती। इस दिशा में किसी ने नहीं सोचा। यमुना का अस्तित्त्व प्रदूषण और खनन के कारण खतरे में है। नदी में अवैध खनन से माइनिंग माफिया की आर्थिक स्थिति सुधरी, जबकि स्थानियों की बिगड़ी। यमुना नदी के बेड रीवर एरिया में मशीन से माइनिंग करने पर अदालत की पाबंदी है फिर भी मशीनों से खनन होता है।-एचडीएम

ऐसे बढ़ रही हंै बीमारियां
पांवटा से होकर यमुनानगर, दिल्ली तक पहुंचने वाली यमुना नदी व नहर के पानी पर करीब 50 प्रतिशत आबादी निर्भर है, लेकिन इंडस्ट्री का कैमिकल युक्त पानी जो यमुना के पानी में मिल रहा है उससे लोगों में घातक बीमारियां भी बढ़ी हैं। मुख्य रूप से दूषित जल के सेवन से कैंसर, किडनी, लीवर, ब्रेन संबंधी रोग भी बढ़े हैं।

सात साल बाद भी नही हुआ नदी का तटीकरण
पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र में 251 करोड़ रुपए लागत से यमुना और सहायक नदियों का तटीयकरण होना था। इससे पांवटा और आसपास के क्षेत्रों की लगभग 25 हजार आबादी को बरसात में होने वाली भूमि कटाव की समस्या से निजात मिलनी थी। वर्ष 2017 में केंद्रीय जल और विद्युत अनुसंधानशाला (सीडब्ल्यूपीआरएस) पुणे टीम ने इस योजना का निरीक्षण किया था। लेकिन इस बात को भी सात साल हो गए अभी तक किसी भी सरकार ने इसके बारे में नहीं सोचा।