काशी के प्रसिद्ध मंदिर
भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर को हिंदुओं के पवित्र तीर्थस्थलों में शामिल किया जाता है। इस पवित्र शहर को काशी के नाम से भी जाना जाता है। वाराणसी शहर अपने प्राचीन मंदिरों की वजह से देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी काफी फेमस है। काशी में काल भैरव और विश्वनाथ मंदिर के बारे में तो सभी जानते हैं। कहते हैं कि जो काशी गया और काल भैरव के दर्शन नहीं किए, तो बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूरा नहीं होता। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है काशी विश्वनाथ मंदिर। तो आइए शिव की नगरी कही जाने वाली काशी के प्रसिद्ध और बेहद खास मंदिरों के बारे में जानते हैं।
काल भैरव मंदिर – बाबा काल भैरव के मंदिर में उनके दो रूपों की पूजा होती है। पहले हिस्से में वह बटुक भैरव यानी कि बाल स्वरूप में विराजते हैं। कहते हैं इनके दर्शन से संतान प्राप्ति होती है। दूसरा रूप आदि भैरव के रूप में है। बाबा के इस स्वरूप के दर्शन करने से राहु केतु की बाधा दूर हो जाती है। काशी विश्वनाथ मंदिर – कहते हैं कि इस मंदिर के दर्शन करने और गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिव की नगरी में इस मंदिर के वर्तमान निर्माण के बारे में कहा जाता है कि महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने सन् 1780 में इसका निर्माण करवाया था। बाद में महाराजा रणजीत सिंह ने 1853 में इसका निर्माण सोने से करवाया।
दुर्गा मां मंदिर- काशी में मां दुर्गा के दो अद्भुत मंदिर हैं। इसमें पहला दुर्गा कुंड के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में माता के कई स्वरूपों का दर्शन करने का सौभाग्य मिलता है। कहते हैं कि इस मंदिर में स्थापित मां की मुख्य प्रतिमा स्वयंभू है। इसके अलावा मंदिर प्रांगण में ही एक कुंड है। इसके चलते ही यह मंदिर दुर्गा कुंड के नाम से प्रसिद्ध है।
गंगा पार मां दुर्गा का भव्य मंदिर- काशी में गंगा के पार जाने पर मां दुर्गा का एक अन्य भव्य मंदिर मिलता है। इसकी भव्यता ऐसी है कि कहा जाता है कि मंदिर परिसर में जाने वाले भक्त मां की प्रतिमा को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। मंदिर में एक अलग तरह की सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह महसूस होता है। कहते हैं कि इस मंदिर का निर्माण भी काशी के राजा ने करवाया था।
रामेश्वर महादेव मंदिर- काशी में स्थापित रामेश्वर महादेव मंदिर के बारे में कथा मिलती है कि जब श्रीराम को रावण के वध के कारण ब्रह्महत्या का दोष लगा, तो वह प्रायश्चित करने यहां आए थे। उन्होंने काशी में पंचकोशी परिक्रमा करके वरुणा तट पर शिवलिंग की स्थापना की और पूजा अर्चना की। तब से इस स्थान का नाम रामेश्वर महादेव मंदिर पड़ा। कहते हैं कि यहां पूजा करने वाले भक्तों को श्रीराम और भोलेनाथ दोनों की ही कृपा मिलती है।
शिवपुरी पांडव – शिवपुरी पांडव के बारे में कथा मिलती है कि द्वापर युग में निर्वासन के दौरान जब पांडव अपनी पत्नी द्रौपदी के साथ काशी पहुंचे, तो उन्होंने यहां पर पांच शिवलिंगों की स्थापना की। मंदिर में स्थापित शिवलिंग की महिमा देखते ही बनती है। इनका आकार घटते हुए क्रम में है। इसके अलावा मंदिर में पांचों पांडवों और द्रौपदी की मूर्तियां भी स्थापित हैं।
अद्भुत है गणेशजी का यह मंदिर – काशी में स्थापित गणेशजी के इस मंदिर को बड़ा गणेश के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि यहां गणेशजी की प्रतिमा स्वयं भू है। इसके अलावा इस मंदिर की निर्माण शैली बेहद खास है। यह मंदिर 40 खंभों पर टिका है। मंदिर में श्री गणेशजी साढ़े 5 फुट और तीन नेत्रों वाली प्रतिमा के रूप में विद्यमान हैं। इसके अलावा उनके साथ ऋद्धि-सिद्धि और उनके पुत्र शुभ और लाभ भी विराजमान हैं।
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