हकीकत से दूर हैं लोकलुभावन वादे…

By: May 22nd, 2024 12:05 am

हमारे देश की राजनीतिक पार्टियों की चुनावी लोकलुभावनी बातों पर एक हिंदी फिल्म के गाने की यह कुछ पंक्तियां बिल्कुल सूट करती हैं, ‘कसमें-वादे प्यार वफा, सब बातें हैं, बातों का क्या, देते हैं भगवान को धोखा (धर्म की राजनीति कर) इनसान को क्या छोड़ेंगे।’ चुनाव के समय देश की लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां घोषणापत्रों में बहुत बड़े-बड़े दावे देशहित और जनहित के लिए करती हैं, पर सत्ता में आते ही ये वादे और दावे भूल जाते हैं।

राजनीतिक पार्टियां अगर अपने चुनाव घोषणापत्रों में किए गए वादों को आज तक पूरा करती होती, तो आज हमारा देश न तो विभिन्न समस्याओं के मकडज़ाल में उलझा होता और न ही मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा होता। पता नहीं वो दिन कब आएगा जब हर राजनेता आमजन का हमदर्द बनेगा। मतदाताओं को नेताओं से सचेत रहने की जरूरत है।

-राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टीहरा


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