स्मार्ट सिटी को 60 करोड़ की दरकार

आचार संहिता के बाद बजट के लिए प्रस्ताव भेजेगा शहरी विकास विभाग, अधूरा पड़ा है पार्किंग का काम

स्टाफ रिपोर्टर-शिमला
शिमला शहर में साल 2017 से स्मार्ट सिटी का काम चल रहा है औैर केंद्र सरकार की ओर से इसके लिए जो बजट आया था, वह लगभग खत्म हो चुका है। ऐसे में अभी शिमला शहर में बड़ी पार्किंग का निर्माण कार्य जारी है और इन प्रोजेक्ट्स को पूरा होने में अभी समय लगेगा। ऐसे में
शहरी विकास विभाग की ओर से चुनाव आचार संहिता के बाद बजट के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा, ताकि इन लंबित कार्यों को पूरा किया जा सके। इसमें कुसुम्पटी, आईजीएमसी, पंथाघाटी सहित अन्य वार्डों में पार्किंग और रास्तों का निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। शहरी विकास विभाग का प्रयास है कि इन पार्किंग को इस तरीके से बनाया जाए, ताकि इसमें लोगों को सभी तरह की आधुनिक सुविधाएं मिल सकें। हाल ही में यूडी निदेशक की ओर से इन पार्किंग का निरीक्षण भी किया गया था।

शिमला शहर की बात की जाए तो वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या पार्किंग की ही है। खासकर बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटक अकसर यह कहते नजर आते हैं उन्हें शिमला में पार्किंग नहीं मिलती। ऐसे में स्मार्ट सिटी के तहत अलग-अलग वार्डों में पार्किंग का निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। इनका निर्माण कार्य पूरा होने में अभी समय लगेगा। ऐसे में जितना काम पेंडिंग है, उसके लिए प्रदेश सरकार से बजट की जरूरत है। अनुमान है कि बड़े प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए कम से कम 60 करोड़ रुपए सरकार को देने ही पड़ेंगे। यदि पैसा न मिला तो इनका काम ठप हो जाएगा।

रद्द हो सकते हैं कई प्रोजेक्ट

यदि राज्य सरकार से बजट नहीं मिलता है तो शहर के कई प्रोजेक्ट रद्द भी हो सकते हैं। बालूगंज और ओल्ड बैरियर के पास बनने वाले फ्लाईओवर का काम अभी शुरू नहीं हुआ है। इसी तरह विधानसभा फ्लाईओवर का काम अभी होना है। ये तीनों प्रोजेक्ट करीब 52 करोड़ के हैं। यदि रिज, ढली टनल और खलीनी फ्लाईओवर जैसे प्रोजेक्टों का काम पूरा करना है तो इन तीन फ्लाईओवर का पैसा इनमें इस्तेमाल हो सकता है। हालांकि अभी सरकार से ही बजट मांगने की तैयारी की जा रही है।