क्या कहते हैं जीएसटी के आंकड़े?
देखा गया है कि जीएसटी की प्राप्तियों में आयात पर लगाए गए कर और उपकर (सेस) भी शामिल हैं। उस दृष्टि से उपकर मिलाकर अप्रैल 2024 में आयात से कुल जीएसटी प्राप्तियां 38834 करोड़ रुपए की हैं। यदि यह कहा जाता है कि जीएसटी में होने वाली वृद्धि का एक कारण बढ़ते हुए आयात भी हैं, तो यह बात आंकड़ों से सिद्ध नहीं होती। गौरतलब है कि जहां अप्रैल 2024 को आयातों पर कर से जीएसटी प्राप्ति 38834 करोड़ रुपए रही है, तो पूरे वर्ष 2023-24 में आयातों से औसत जीएसटी (उपकर समेत) 41327 करोड़ रुपए मासिक रहा था। इससे पहले वर्ष 2022-23 में आयातों से जीएसटी (उपकर समेत) औसतन 40196 करोड़ रुपए मासिक रहा। हालांकि जीएसटी पद्धति अपनाने के बाद देश में जीएसटी की प्राप्तियों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले। लेकिन जीएसटी की प्राप्तियां लगातार बढ़ती ही रही और उनमें खासी ग्रोथ भी देखने को मिल रही है। जहां वर्ष 2023-24 में जीएसटी प्राप्ति की ग्रोथ 11.7 प्रतिशत रही, तो वहीं 2022-23 में यह 22 प्रतिशत थी, 2021-22 में यह 30 प्रतिशत थी…
कुछ समय से जीएसटी की बढ़ती प्राप्तियां देश की आर्थिकी में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। एक मई 2024 को जारी आंकड़ों के अनुसार देश में जीएसटी प्राप्तियां पहली बार 2 लाख करोड रुपए को लांघती हुई 2.10 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई हैं। पिछले साल के इस माह की तुलना में यह 12.4 प्रतिशत की वृद्धि है। लेकिन यदि रिफण्ड देने के बाद जीएसटी राशि की बात की जाए, तो यह अप्रैल 2024 में 1.92 लाख करोड़ रुपए है, जो अप्रैल 2023 की तुलना में 15.5 प्रतिशत की वृद्धि दिखाता है। यूं तो जीएसटी के प्रारंभ से ही, इसकी प्राप्तियों में निरंतर वृद्धि होती रही है, लेकिन वर्ष 2023-24 में जीएसटी की प्राप्तियां 20.18 लाख करोड़ रुपए की रही, जो वर्ष 2022-23 के 18.1 लाख करोड़ रुपए से 11.7 प्रतिशत अधिक थी। गौरतलब है कि 2022-23 की प्राप्तियां 2021-22 से 22 प्रतिशत अधिक थी। गौरतलब है कि जुलाई 2017 में देश के अधिकांश अप्रत्यक्ष करों (वस्तुओं व सेवाओं पर कर) को समाप्त करते हुए, उसके स्थान पर जीएसटी लगाया गया था। यह जीएसटी केंद्र और राज्यों को बीच बराबर बांट दिया जाता है। उसके अलावा वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार केंद्र के द्वारा लगाए गए करों का एक निश्चित प्रतिशत (जो वर्तमान में 42 प्रतिशत है), राज्यों को स्थानांतरित करने का प्रावधान है। इसके अनुसार भी राज्यों को जीएसटी का एक बड़ा हिस्सा मिलता है।
जीएसटी के विभिन्न घटक
जीएसटी के विभिन्न हिस्सों को यदि समझने का प्रयास करें तो अप्रैल 2024 में 2.1 लाख करोड़ रुपए की कुल जीएसटी प्राप्तियों में सेंट्रल जीएसटी 43846 करोड़ रुपए, स्टेट जीएसटी 53538 करोड़ रुपए, इंटीग्रेटिड जीएसटी 99623 करोड़ रुपए, जिसमें 37826 करोड़ रुपए आयातित वस्तुओं पर जीएसटी से प्राप्त हो रहा है। इसके अलावा 13260 करोड़ रुपए उपकर (सेस) के रूप में प्राप्त हुए, जिसमें 1008 करोड़ रुपए आयातित वस्तुओं पर उपकर से प्राप्त हुए।
क्यों और कैसे बढ़ता है जीएसटी
जीएसटी वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन पर लगता है। इसकी खासियत यह है कि यह उत्पादन प्रक्रिया में हर बार के मूल्य संवद्र्धन यानी वैल्यू एडीशन पर लगता है।
उत्पादन में वृद्धि
स्वाभाविक है कि देश में जैसे-जैसे वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन बढ़ता है, जीएसटी की दर समान रहने पर भी जीएसटी की प्राप्तियां बढ़ जाती हैं। कोविड के बाद पिछले कुछ वर्षों में जीडीपी ग्रोथ न केवल पहले से बेहतर हुई है, बल्कि बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत लगातार सबसे तेजी से बढऩे वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है। वर्ष 2021-22 में जीडीपी ग्रोथ 9.1 प्रतिशत, 2022-23 में 7 प्रतिशत रिकॉर्ड की गई। वर्ष 2023-24 के लिए अग्रिम अनुमानों के अनुसार 7.6 प्रतिशत जीडीपी ग्रोथ का अनुमान लगाया गया है। इस ग्रोथ में सभी क्षेत्रों का योगदान रहा। पिछले कुछ वर्षों में औद्योगिक ग्रोथ की दर बढ़ी है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक अप्रैल 2021 में 126.1 की तुलना में जनवरी 24 तक 153.0 तक पहुंच गया है। सेवा क्षेत्र में भी उल्लेखनीय ग्रोथ देखने को मिल रही है। औद्योगिक और सेवा क्षेत्र की ग्रोथ के चलते जीएसटी की प्राप्तियां बढऩा अस्वाभाविक नहीं है।
कीमतों में वृद्धि
चूंकि जीएसटी वस्तुओं के मूल्य पर लगता है, यह मात्र वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन बढऩे से ही नहीं, बल्कि मुद्रास्फीति, यानी कीमतों में वृद्धि के कारण भी बढ़ता है। पिछले तीन वर्षों में देश में मुद्रास्फीति की दर में भी वृद्धि हुई है। यह वृद्धि घरेलू कारणों से कम, विदेशी कारणों से ज्यादा हुई है। अमरीका, यूरोप समेत दुनिया के अधिकांश मुल्क मुद्रास्फीति से जूझ रहे हैं। लेकिन कारण जो भी हो, मुद्रास्फीति भी कुछ मात्रा में जीएसटी में वृद्धि का कारण बन रही है।
अर्थव्यवस्था का औपचारीकरण
भारत में उत्पादन का बहुत बड़ा क्षेत्र अनौपचारिक यानी नॉन-फार्मल रहा है और कुछ हद तक आज भी है। लेकिन पिछले कुछ समय से कुछ स्वाभाविक कारणों से और कुछ हद तक जीएसटी लागू होने से अर्थव्यवस्था का औपचारीकरण बढ़ा है। समझना होगा कि पूर्व की उत्पादन प्रक्रिया पर लगे जीएसटी का क्रेडिट आगामी उत्पादन में तभी मिल सकता है, जब उत्पादन प्रक्रिया में संलग्न सभी घटक जीएसटी में पंजीकृत हों। इस कारण से भी अर्थव्यवस्था का औपचारीकरण बढ़ा है, जिसके चलते जीएसटी की प्राप्तियां भी बढ़ रही हैं।
क्या देश में आयात भी है जीएसटी बढऩे का कारण
देखा गया है कि जीएसटी की प्राप्तियों में आयात पर लगाए गए कर और उपकर (सेस) भी शामिल हैं। उस दृष्टि से उपकर मिलाकर अप्रैल 2024 में आयात से कुल जीएसटी प्राप्तियां 38834 करोड़ रुपए की हैं। यदि यह कहा जाता है कि जीएसटी में होने वाली वृद्धि का एक कारण बढ़ते हुए आयात भी हैं, तो यह बात आंकड़ों से सिद्ध नहीं होती। गौरतलब है कि जहां अप्रैल 2024 को आयातों पर कर से जीएसटी प्राप्ति 38834 करोड़ रुपए रही है, तो पूरे वर्ष 2023-24 में आयातों से औसत जीएसटी (उपकर समेत) 41327 करोड़ रुपए मासिक रहा था। इससे पहले वर्ष 2022-23 में आयातों से जीएसटी (उपकर समेत) औसतन 40196 करोड़ रुपए मासिक रहा। हालांकि जीएसटी पद्धति अपनाने के बाद देश में जीएसटी की प्राप्तियों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले। लेकिन जीएसटी की प्राप्तियां लगातार बढ़ती ही रही और उनमें खासी ग्रोथ भी देखने को मिल रही है। जहां वर्ष 2023-24 में जीएसटी प्राप्ति की ग्रोथ 11.7 प्रतिशत रही, तो वहीं 2022-23 में यह 22 प्रतिशत थी, 2021-22 में यह 30 प्रतिशत थी। माना जा सकता है कि सामान्यत: जीएसटी प्राप्तियों की ग्रोथ चालू कीमतों पर जीडीपी ग्रोथ से अधिक ही रही। यह इंगित करता है कि अब जीएसटी का दायरा बढऩे के साथ-साथ इससे प्राप्तियां स्वयंमेव बढ़ती जा रही हैं। यह भारत के आर्थिक परिदृश्य के लिए सकारात्मक बात है।
डा. अश्वनी महाजन
कालेज प्रोफेसर
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