‘नामांकन दाखिल करने का फैसला मेरा नहीं’
नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस उम्मीदवार के. सुरेश ने कहा कि नामांकन दाखिल करने का निर्णय उनका नहीं बल्कि पार्टी का है। के. सुरेश ने कहा, “अभी तक यह परंपरा रही है कि लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के चुनाव के मुद्दे पर सत्तापक्ष एवं विपक्ष के बीच चर्चा होती थी और सहमति बनाने की कोशिश की जाती थी। इस बार हम लोगों ने इस मुद्दे पर सत्तापक्ष से बातचीत की, लेकिन वे सहमति बनाने के मूड में नहीं थे। इस वजह से हमारी पार्टी ने लोस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का निर्णय लिया और मैंने पार्टी का आदेश को मानते हुए अपना नामांकन दाखिल किया है।”
इस बीच केंद्रीय मंत्री एवं तेलुगु देशम पार्टी के राम मोहन नायडू ने कहा कि अभी तक यह परंपरा रही है कि लोकसभा का अध्यक्ष आम सहमति से निर्विरोध निर्वाचित होते रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमने इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने की कोशिश की। हमने विक्षप के नेताओं से कहा कि परंपरा के मुताबिक लोस अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध होने दीजिए। इसके बाद हम लोग उपाध्यक्ष पद के चुनाव के मुद्दे पर चर्चा करके सहमति बना लेंगे, लेकिन वे नहीं माने और इस जिद्द पर अड्डे रहे कि पहले उपाध्यक्ष पद पर चर्चा कर लीजिए। आखिर में उन्होंने लोस अध्यक्ष पद पर अपना उम्मीदवार उतार दिया।”
उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रक्षा मंत्री एवं पार्टी के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह को लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बातचीत करने के लिए अधिकृत किया था। उन्होंने इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन से बातचीत की थी, लेकिन वार्ता असफल रही और अब कांग्रेस ने लोस अध्यक्ष पद पर उम्मीदवार उतार दिया है।
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