लो जी, बरसात आ गई…

By: Jul 17th, 2024 12:05 am

लो जी! बरसात आ गई! अब बरसात में साल भर पेड़ काटने वाले कंधों पर कुदाल हाथ में मोबाइल ले जहां भी जगह मिलेगी वहीं पौधे लगाने निकल पड़ेंगे। वे पौधा एक लगाएंगे तो उसके साथ सेल्फी दस खिचवाएंगे। लो जी! बरसात आ गई! जिन सरकारी ठेकेदारों द्वारा कराए सरकारी निर्माणों की पेमेंट उनको हो चुकी है, वे आसमान में बादलों के न गरजने के बाद भी मोर बन नाचने लगेंगे। जिन सरकारी ठेकेदारों को उनके द्वारा कराए निर्माणों की पेमेंट अभी अटकी है वे बरसात से दोनों हाथ जोड़ प्रार्थना करेंगे कि हे बरसात! जब तक उनके द्वारा कराए सी ग्रेड सरकारी कामों की सरकार से पेमेंट नहीं हो जाती तब तक बरसना मत प्लीज! सच कहें तो इस निर्माण में हमें कुछ भी नहीं बचा है। ऊपर से नीचे तक इतना चढ़ावा चढ़ाना पड़ा है कि कुछ खाने के बदले उलटा अपनी जेब से लगाया है ताकि उन्हें लगे कि वे सरकार के विकासात्मक हाथों के साथ अपना हाथ मिला देश को गिरा रहे हैं। ऐसे में जो उनके द्वारा बनाया पुल पेमेंट होने से पहले ही जरा सी भी बरसात होने पर ढह बह गया तो उनके पेट पर लात पड़ जाएगी। लो जी! बरसात आ गई! बरसात आने की शुभ सूचना मौसम विभाग से पहले मेरा पड़ोसी देता है। उसे मौसम विभाग से पहले ही पता नहीं कहां से पता चल जाता है कि अब बरसात आने वाली है। जैसे ही उसे उसके विश्वस्त सूत्रों से बरसात आने की पुख्ता सूचना मिलती है, वह अपने घर का सारा पानी मेरे घर की ओर मोड़ देता है। जब वह अपने घर का पानी मेरे घर की ओर मोडऩे लगे तो मैं भी अनुमान लगा लेता हूं कि अब पक्का बरसात आने वाली है। मौसम विभाग को पता हो या न! लो जी! बरसात आ गई! बरसात आते ही मेरे स्वच्छ शहर का सारा कूड़ा कचरा सडक़ों पर पर्यटकों की तरह घूमने निकल पड़ेगा। बरसात आते ही चार महीने से बरसात से निपटने की सरकार की तमाम तैयारियों पर झाड़ू फिर जाएगा। शहर पानी पानी हो जाएगा।

तब कोई कागज की कश्ती में ऑफिस जाएगा तो कोई तो कोई बचाव के लिए कागज की कश्ती! कश्ती चिल्लाएगा। लो जी! बरसात आ गई! बरसात के आते ही सारे टीवी चैनलों के बरसाती रिपोर्टर बरसाती पहने नदी नालों के किनारे जम जाएंगे और नदी नालों से नदी नालों को लाइव कवर कर बरसाती चैनलों में सबसे तेज हो जाएंगे। लो जी! बरसात आ गई! अब बारिश किसान से आंख मिचौली खेलेगी। किसान से सभी आंख मिचौली खेलते हैं। कभी उससे दलाल आंख मिचौली खेलता है तो कभी सरकार उससे आंख मिचौली खेलती है। उसे दुख इस बात का है कि वह किसी से भी आंख मिचौली नहीं खेल पाता। लो जी! बरसात आ गई! अब किसान कभी सूखे से फसल को उदास हो बादलों की ओर टकटकी लगाए देखेगा तो कभी बाढ़ में डूबी फसल को देख दिल्ली से हवाई जहाज में आने वालों की ओर देखेगा। लो जी! बरसात आ गई! अब मौसम विभाग जिस दिन कहेगा कि आज मौसम साफ रहेगा उस दिन बरसात झमाझम बरसेगी। मौसम विभाग जिस दिन बारिश का रेड अलर्ट जारी करेगा उस दिन मौसम बिल्कुल साफ रहेगा। जिस दिन मौसम विभाग कहेगा कि आज भारी से भारी बारिश होगी तो सरकार स्कूलों में अवकाश कर देगी। पर उस दिन सूरज चमाचम चमकेगा।

मौसम विभाग और बरसात की आपस में पता नहीं क्यों सैंतीस का आंकड़ा है। लो जी! बरसात आ गई! संसद में मानसून सत्र शुरू होते ही सब एक दूसरे पर बरसात की तरह बरसेंगे, बादलों की तरह गरजेंगे। नदी नालों की तरह शोर मचाएंगे। मेंढकों की तरह टर्राएंगे। पर जनता के मतलब के बिल पूरी तरह बरसात न होने के बाद भी बरसात में सिर से पांव तक भीग जाएंगे। उन बिलों को सर्दी हो जाएगी, खांसी हो जाएगी, जुकाम हो जाएगा। डेंगू हो जाएगा, मलेरिया हो जाएगा। तब आम आदमी बरसात में भीगता हुआ सर्दी की सैंपल फेल दवा खाएगा, जुकाम की सैंपल फेल दवा खाएगा, डेंगू की सैंपल फेल दवा खाएगा, खांसी की सैंपल फेल दवा खाएगा, मलेरिया की सैंपल फेल दवा खाएगा। और खुशी की बात! सैंपल फेल दवाइयों का सेवन कर वह फिर अगले मौसम में बीमार होने के लिए ठीक हो जाएगा। लो जी! बरसात आ गई! लो जी! बरसात आ गई!

अशोक गौतम

ashokgautam001@Ugmail.com


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