पीएचडी शारीरिक शिक्षा की प्रवेश परीक्षा रद्द
यूजीसी नियमों के विपरीत एग्जाम करवाने पर हाई कोर्ट का फैसला
विधि संवाददाता-शिमला
हाई कोर्ट ने एचपीयू द्वारा आयोजित पीएचडी (शारीरिक शिक्षा) प्रवेश परीक्षा को रद्द करने के फैसले को सही ठहराया है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की एकल पीठ के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि विश्वविद्यालय ने परीक्षा आयोजित करने में नियमों का पालन न करके बड़ी अवैधता बरती। प्रार्थी बिंदु वर्मा सहित पांच अभ्यर्थियों ने एकल पीठ के 26 जून के फैसले को खंडपीठ के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दी थी। मामले के अनुसार विश्विद्यालय ने अन्य विभागों सहित शारीरिक शिक्षा विभाग में पीएचडी की छह सीटों के लिए प्रवेश हेतु 12 मार्च, 2024 को आवेदन आमंत्रित किए। 13 मई , 2024 को प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई और 27 मई को परिणाम घोषित किया गया।
अक्षय कुमार सहित 10 प्रार्थियों का आरोप था कि यूजीसी नियम संख्या 5:2 के तहत पीएचडी की प्रवेश परीक्षा में 50 प्रश्न अनुसंधान पद्धति और 50 प्रश्न विषय.विशिष्ट के होने थे, परंतु विश्वविद्यालय ने 80 प्रश्नों की प्रवेश परीक्षा में मात्र दस प्रश्न ही अनुसंधान पद्धति के पूछे जबकि इनकी संख्या 40 होनी चाहिए थी। प्रार्थियों का नाम सफल परीक्षार्थियों की सूची में नहीं आया। प्रार्थियों ने परिणाम घोषित होने के बाद विश्विद्यालय के समक्ष प्रतिवेदन किया, परंतु कोई फायदा नहीं हुआ। मजबूरन उन्हें कोर्ट में आना पड़ा। कोर्ट ने प्रवेश परीक्षा को यूजीसी नियम 2022 के नियम संख्या 5;2 के विपरीत पाया। कोर्ट ने कहा कि विश्वविद्यालय यूजीसी नियमों के विपरीत प्रवेश परीक्षा करवाने का हक नहीं रखता। हाई कोर्ट ने विश्वविद्यालय को फिर से प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की छूट दी है।
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