डलहौजी में नाच गाकर, मिठाइयां बांटकर ‘रिजाल्व तिब्बत एक्ट’ का स्वागत
अमरीका की संसद में तिब्बत और तिब्बतियों के हितों की पैरवी करने वाला बिल बनने की खुशी में पर्यटक नगरी में आभार कार्यक्रम
स्टाफ रिपोर्टर-डलहौजी
पर्यटक नगरी डलहौजी में बुधवार को तिबबती समुदाय की ओर से यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमरीका (यूएसए) की संसद में तिब्बत और तिब्बतियों के हितों की पैरवी करने वाला ‘रिजाल्व तिब्बत एक्ट’ बिल बनने की खुशी में आभार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान रिजाल्व तिब्बत एक्ट को कानून बनाने के लिए अमेरिकी सरकार और इसके नागरिकों के प्रति आभार व्यक्त किया गया। इस दौरान तिब्बती समुदाय के लोगों ने नाच गाकर और लोगों व पर्यटकों में मिठाइयां वितरित कर खुशियों को सांझा किया। तिब्बत समुदाय के लोगों ने भारत-तिब्बत मित्रता अमर रहे के उद्घोष के साथ यह भी कहा कि भारत में तिब्बतियों को जो प्रेम, संरक्षण व अपनापन मिला है वे भारतीय संस्कृति की महानता को दर्शाता है। सेटलमेंट आफिसर फुरबू त्सेरिंग और एलटीए के अध्यक्ष फुरबू डमडुल ने अपने संबोधन में कहा कि रिजाल्व तिब्बत एक्ट में कहा गया है कि तिब्बत विवाद का बिना किसी पूर्व शर्त के बातचीत के जरिए शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाना चाहिए।
इसमें तिब्बती लोगों के अलग धार्मिक, भाषाई और ऐतिहासिक पहचान को परिभाषित किया गया है। इसमें कहा गया है कि चीन की नीतियां तिब्बत के लोगों की अपनी जीवन शैली को संरक्षित करने की क्षमता को दबाने की कोशिश कर रही हैं। यह कानून चीन के इस दावे को खारिज करता है कि तिब्बत प्राचीन काल से उसका हिस्सा रहा है। इसमें चीन से तिब्बत के इतिहास के बारे में गलत और भ्रामक प्रचार बंद करने की मांग की गई है। उन्होंने इस एक्ट को संयुक्त राज्य अमेरिका के कानून में पेश करने, आगे बढ़ाने और अनुवाद करने में शामिल सभी लोगों के प्रति तिब्बती समुदाय की ओर से हार्दिक आभार व्यक्त किया।
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