लाडा के पैसों से खरीद डाला फर्नीचर-गाडिय़ां, पढ़ें पूरी खबर…
विकास की जगह सरकारी कामों पर खर्चे 11.39 करोड़ रुपए; लाइबे्ररी निर्माण-फर्नीचर खरीदने को पानी की तरह बहाए पैसे, अब उठे सवाल
सरकारी दफ्तरों में सुविधाएं देने को भी निकाली मोटी रकम
तीन साल में मंडी में 4.96 करोड़ की राशि मिली, 99 लाख खर्च
76 हजार में खरीदे जिलाधीश कार्यालय कुल्लू के पर्दे
शकील कुरैशी — शिमला
बिजली परियोजनाओं से प्रभावित एरिया के विकास के लिए लिया गया पैसा दफ्तरों की गाडिय़ां लेने, फर्नीचर खरीदने और वेतन की अदायगी करने में लगा दिया गया है। यह पैसा लोकल एरिया डिवेलपमेंट फंड (लाडा) के तहत लिया गया है, जिसका पैसा प्रभावित एरिया के विकास पर खर्च होता है। मगर, यहां सरकारी कामों पर इसे खर्च कर दिया गया है, जिससे कई सवाल खड़े हो गए हैं। बताया जाता है कि लाडा के तहत 20 करोड़ 46 लाख रुपए की राशि कुल्लू व मंडी जिला की बिजली परियोजनाओं से मिली है, जिसमें से 11 करोड़ 39 लाख रुपए की राशि खर्च की गई है। मगर लाडा की गाइडलाइन के विपरीत पैसा खर्च किया गया, जोकि नहीं हो सकता था। सरकार से ही मिली एक लिखित सूचना के मुताबिक जिलाधीश कार्यालय कुल्लू में वाहनों की खरीद के लिए एडिशनल बजट के रूप में लाडा की राशि से 22 लाख 24 हजार रुपए की राशि दी गई है, जिसकी एग्जीक्यूटिव एजेंसी एसी टू डीसी कुल्लू थे। कुल्लू के ढालपुर क्षेत्र में सोलर लाइट्स लगाने के लिए 3 करोड़ 19 लाख रुपए की राशि खर्च की गई है, जबकि ज्ञान केंद्र ग्राम पंचायत जिंदौर बनोगी में लाइब्रेरी का फर्नीचर खरीदने के लिए भी 2 लाख रुपए की राशि दी गई है।
जलोड़ी में एक सेंटर के निर्माण के लिए 11 करोड़ रुपए की राशि दी गई है, वहीं प्रिणी में लाइब्रेरी फर्नीचर के लिए एक करोड़ से ज्यादा की राशि दी गई। ज्ञान केंद्रों के लिए फ्लैक्स बैनर आदि लगाने को 25 हजार की राशि दी। जिन मामलों में सवाल उठे रहे हैं, उनमें एक मामला जिलाधीश कार्यालय कुल्लू के पर्दे खरीदने का भी है, जिसकी राशि इसी फंड में से दी गई। यहां 76 हजार से ज्यादा की राशि प्रदान की गई है। लाइब्रेरी की अलमारी खरीदने पर 17 हजार रुपए खर्चे, वहीं बैडमिंटन हॉल ढालपुर के लिए भी 13 लाख से ज्यादा की राशि दी। जगातखाना में सीसीटीवी लगाने को दो लाख, एफसीए कंसलटेंट पर 12 लाख का खर्चा, बीडीओ कार्यालय के कम्प्यूटर खरीदने को सात लाख, डीजी सेट खरीदने को 30 लाख पर खर्च किए गए हैं। इस तरह से लाइबे्ररी निर्माण और उसके फर्नीचर की खरीद पर जहां काफी ज्यादा राशि खर्च की गई है, वहीं सरकारी दफ्तरों में सुविधाएं देने को भी इस राशि में से पैसा खर्च कर दिया गया है, जिस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। बता दें कि विधानसभा में इससे संबंधित एक जानकारी मांगी गई थी, जिसमें यह पूरा उल्लेख हुआ है। यहां बाकायदा यह कहा गया है कि लाडा का पैसा प्रभावित एरिया के विकास यानी आम जन को सुविधा देने के लिए लगाया जाना चाहिए, न कि सरकारी कामों के लिए। यहां सूचना दी गई है कि मंडी जिला में पिछले तीन साल में बिजली परियोजनाओं से चार करोड़ 96 लाख 16 हजार 932 रुपए की राशि लाडा में हासिल हुई है, जिसमें से 99 लाख 36 हजार रुपए की राशि खर्च करके दो घाट बनाए गए हैं। सरकार ने लाडा की राशि वसूल करने के साथ बिजली की रॉयल्टी भी रखी है। लाडा का पैसा प्रभावित एरिया पर ही विकास के कामों में खर्च किया जा सकता है और इससे बाहर यह पैसा नहीं दिया जाता। क्षेत्रों के विकास में भी आधारभूत ढांचे की मजबूती के लिए इस पैसे का इस्तेमाल होता है, परंतु यहां इससे उलट सरकारी सुख सुविधाओं पर पैसा खर्च किया जा रहा है, जिसे लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। सरकार इस मामले में पूरी पड़ताल कर रही है और आने वाले समय में नीति के मुताबिक खर्च हो इसे सुनिश्चित बनाया जाएगा। (एचडीएम)
तीन साल में 10 परियोजनाएं उतरी उत्पादन में
प्रदेश में पिछले तीन साल में 10 बिजली परियोजनाएं उत्पादन में आई हैं। इनकी कुल क्षमता 339.40 मैगावाट की है। निजी क्षेत्र में यह परियोजनाएं बनकर तैयार हो चुकी हैं, जिनमें उत्पादन किया जा रहा है। हालांकि इस दौरान नई परियोजनाओं का आबंटन नहीं हो पा रहा है, क्योंकि निजी कंपनियां यहां दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं।
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