धर्मशाला अस्पताल में नौ स्पेशियलिस्ट डाक्टरों की कुर्सी खाली… मर्ज बढ़ा
हास्पिटल के छह विभाग एकमात्र चिकित्सक के सहारे, व्यवस्था हो रही धड़ाम
व्यवस्था पर सवाल
40 पदों में 31 भरे, 24 विशेषज्ञ, सात जनरल डाक्टर व नौ खाली
एमर्जेंसी ड्यूटी-अवकाश
पर जाने पर मरीजों का बढ़ रहा दर्द
अब फिर धर्मशाला अस्पताल से सीधा रैफर हो रहे मरीज
नरेन कुमार – धर्मशाला
स्मार्ट सिटी धर्मशाला के जोनल अस्पताल में नौ विशेषज्ञ डाक्टरों के पद पूरी तरह से रिक्त चल रहे हैं, जिन्हें वर्षों से भरने की जहमत नहीं उठाई जा रही है। अस्पताल में रोजाना एक हजार तक ओपीडी होती है। इसके चलते धर्मशाला अस्पताल के आधा दर्जन अति महत्त्वपूर्ण विभाग गायनी, मेडिसिन एमडी, स्किन, एनिथिसिया और रेडियोलॉजिस्ट एकमात्र डाक्टर के सहारे चल रहे हैं। कांगड़ा के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल में 40 डाक्टरों के पद स्वीकृत हैं, जिसमें 31 भरे हैं, जिनमें 24 में विशेषज्ञ व सात जनरल डाक्टर सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। इसमें नौ विशेषज्ञों के पद पूरी तरह से रिक्त चल रहे हैं। ऐसे में एक मात्र विशेषज्ञ के एमर्जेंसी ड्यूटी व अवकाश पर जाने पर व्यवस्था पूरी तरह से धड़ाम हो रही है। इतना ही नहीं, इलाज करवाने आने वाले मरीजों-तीमारदारों का दर्द और अधिक बढ़ रहा है। धर्मशाला अस्पताल को राज्य भर में राष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों में अव्वल पाया गया है, जबकि दूसरी ओर एक बार फिर से धर्मशाला अस्पताल को रैफर अस्पताल का दर्जा मिल रहा है। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शहर, जिला कांगड़ा का दूसरा सबसे बड़े स्वास्थय संस्थान जो कि स्मार्ट शहर भी है, के जोनल अस्पताल धर्मशाला की खुद ही हालत बिगड़ी हुई है।
इतना ही नहीं, धर्मशाला अस्पताल की हालत दिन-प्रतिदिन गंभीर भी होती जा रही है। हालांकि स्वास्थय सुविधाओं व इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार को लेकर बड़े स्तर पर कार्य किया जा रहा है, लेकिन मरीजों की हालत संभालने वाले डाक्टरों की खाली कुर्सियों के कारण अब ओपीडी के बाहर अवकाश, एमर्जेंसी ड्यूटी के बोर्ड लटकना आम सी बात हो गई है। क्षेत्रीय अस्पताल धर्मशाला में आधा दर्जन बाहरी रोग विभाग ओपीडी एकमात्र डाक्टर के सहारे चल रही है, जिसमें डाक्टरों की एमर्जेंसी डयूटी व अवकाश पर जाने पर मरीजों का दर्द अधिक बढ़ रहा है। जिला मुख्यालय धर्मशाला के साथ-साथ जिला के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के स्वास्थय का जिम्मा जोनल अस्पताल पर है, लेकिन अस्पताल पहुंचने पर लोगों को मायूसी ही हाथ लग रही है। मरीजों को टांडा मेडिकल कालेज संग निजी अस्पतालों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। स्मार्ट शहर धर्मशाला के अस्पताल में मौजूदा समय में गायनी, मेडिसन एमडी, स्किन, एनिथिसिया और रेडियोलॉजिस्ट एकमात्र विशेषज्ञ हैं। ऐसे में एक फिर धर्मशाला अस्पताल मरीज सीधा टांडा अस्पतालको रैफर किए जा रहे हैं। इसमें गायनी के आपरेशन व कई मामलों को टांडा ही रैफर किया जा रहा है। ऐसे में अब एक विशेषज्ञ के सहारे धर्मशाला अस्पताल की हालत दयनीय स्थिति में पहुंच गई है। जबकि स्वास्थय सुविधाओं को सुदृढ़ किए जाने के हवा-हवाई दावे ज़मीन में पूरी से दम तोड़ते हुए नजर आ रहे हैं। एचडीएम
क्या कहते हैं एमएस
जोनल अस्पताल धर्मशाला के वरिष्ठ चिकित्सा अधिक्षक डाक्टर अजय दत्ता से बात करने पर उन्होंने बताया कि अस्पताल में विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी है। कुछ एक विशेषज्ञ के सहयोग से बेहतर चलाने का प्रयास किया जा रहा है। डा. दत्ता ने बताया कि स्वास्थ्य निदेशालय को अस्पताल में डाक्टरों के रिक्त नौ पदों को एक-एक विशेषज्ञ के स्थान पर विशेषज्ञों की नियुक्ति किए जाने बारे लिखा गया है। जैसे ही निदेशालय से रिक्त पद भरे जाएंगे, लोगों को बेहतरीन सुविधा मिल पाएगी।
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