बीते कुछ दशकों में अंग्रेजी भाषा कब हमारी आम बोलचाल का हिस्सा बन गई, किसी को पता भी नहीं चला। सुबह उठकर गुड मॉर्निंग विश करने से लेकर रात में सोने से पहले गुड नाइट कहने तक हम रोजाना अंग्रेजी के कई शब्दों का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं। छोटे बच्चे जैसे ही बोलना शुरू करते हैं, उन्हें सॉरी, थैंक यू और प्लीज जैसे शब्द सिखा दिए जाते हैं। इससे पता चलता है कि अब अंग्रेजी भाषा एक जरूरत भी बन चुकी है…
आज के बढ़ते इंटरनेट और आधुनिकता के युग ने सारी दुनिया को एक साथ जोड़ दिया है। किसी भी देश के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से जुडक़र आप अपनी बातें शेयर कर सकते है। इसके साथ ही आज के दौर में किसी से बात करने के लिए आपको इंग्लिश भाषा का ज्ञान होना बहुत जरूरी है, ताकि आप दूसरों के साथ जुड़ सकें। अगर कोई व्यक्ति अच्छी इंग्लिश बोल सकता है, तो वह मैनेजमेंट की सीढिय़ां आसानी से लांघ सकता है। यदि आपकी अंग्रेजी अच्छी नहीं है, तो व्यवसाय की शानदार योजना रखने के बावजूद आप खुद को मैनेजमेंट के सबसे निचले स्तर पर खड़ा पाएंगे। आगे बढऩे के लिए हर स्तर पर इंग्लिश आना अनिवार्य होता जा रहा है चाहें वह विचार-विमर्श, इंटरव्यू, प्रेजेंटेशन, रिपोर्ट राइटिंग व लैटर राइटिंग आदि जैसे अलग-अलग उद्देश्यों क्यों न हो। इन सबकी पूर्ति के लिए कर्मचारियों को अंग्रेजी भाषा सिखाने के लिए एक्सपर्ट की बड़ी संभावनाएं हैं।
इसलिए बढ़ा क्रेज
रोजगार के विश्वव्यापी बनने के कारण पिछले कुछ सालों में अंग्रेजी भाषा का क्रेज बढ़ा है। पिछले कुछ सालों में अंग्रेजी भाषा राष्ट्रीय और इंटरनेशनल स्तर पर अपनी बात कहने का माध्यम बन कर उभरी है। अंग्रेजी भाषा बोलने वाले को ज्यादा महत्त्व दिया जाने लगा है । कई बार व्यक्ति को अपने विषय के बारे में सारा कुछ पता तो होता है, लेकिन अगर वह इंग्लिश में अपनी बात की अभिव्यक्ति नहीं कर सकता तो वह असफल हो जाता है।
इसलिए आज के प्रतियोगिता के युग में बने रहने के लिए और सफल होने के लिए अंग्रेजी भाषा का ज्ञान होना बहुत जरूरी हो गया है। आजकल के दौर को देखते हुए अभिभावक भी अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में दाखिला दिलवाने के लिए लालायित दिखते हैं। उन्हें अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित नजर आता है, सिर्फ इसलिए क्योंकि अंग्रेजी भाषा में संभावनाओं का स्कोप बहुत है। इसलिए अंग्रेजी भाषा का क्रेज है।
नौकरी के साथ पढ़ाई भी
अंग्रेजी भाषा और साहित्य का अध्ययन छात्रों में मूल्यांकन और विश्लेषण करने की क्षमता प्रदान करता है। इन दिनों लोगों में अंग्रेजी के प्रति काफी क्रेज है। यही वजह है कि अंग्रेजी बोलने और सीखने की ललक घर-घर में देखी जा सकती है। कुछ लोग स्पोकन इंग्लिश का कोर्स चलाकर हजारों की कमाई भी कर रहे हैं। यदि आप स्वरोजगार करना चाहते हैं, तो अपने घर के आसपास कोचिंग सेंटर खोलकर लोगों को अंग्रेजी बोलना और लिखना सिखा सकते हैं। इसके अलावा यदि आप कहीं नौकरी करते हैं, तो कोचिंग या ट्यूशन पढ़ाकर भी कम समय में बेहतर पैसे कमा सकते हैं, लेकिन इस तरह के प्रोफेशन में आने के लिए जरूरी है कि आपकी अंग्रेजी ग्रामर पर पकड़ हो, क्योंकि ग्रामर भाषा की रीढ़ होती है। यदि इस पर कमांड है, तो आप इस प्रोफेशन में अवश्य सफल हो सकते हैं।
ऐसे बनाएं भाषा में पकड़
अंग्रेजी भाषा पर बेहतर पकड़ व समझ बनाने के लिए बीए ऑनर्स या एमए करना आवश्यक है। इस कोर्स के माध्यम से अंग्रेजी के प्राचीन इतिहास, पोलिटिकल थ्योरी, मध्यकालीन अंग्रेजी, विक्टोरियन साहित्य, आधुनिक और उत्तर आधुनिक साहित्य के अलावा नॉवेल, ड्रामा, क्रिटिकल थ्योरी और पोएट्री पढऩा होता है, जो कि काफी फायदेमंद होता है।
बीपीओ की पहली पसंद
इस कोर्स से स्नातक करने के बाद आप एनजीओ, कारपोरेट सेक्टर, टूरिज्म, दूतावास, पब्लिकेशन बिजनेस, टीवी, रेडियो ब्रॉडकास्टिंग एडवर्टाइजमेंट, बीपीओ, इंटरप्रेटर आदि की भूमिका बखूबी निभा सकते हैं। आज अंग्रेजी के जानकारों के लिए बीपीओ में काफी मौके हैं।
स्कोप
अंग्रेजी भाषा में मास्टर डिग्री करने के बाद कोई भी व्यक्ति किसी सरकारी और निजी संगठन, शैक्षिक संस्थान में रोजगार प्राप्त कर सकता है या अपना निजी प्रशिक्षण केंद्र चला सकता है। पोस्ट ग्रेजुएशन, नेट या पीएचडी करने के बाद केंद्रीय एवं राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों एवं संबद्ध डिग्री कालेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में करियर की शुरुआत कर सकता है। एडिटर, इंग्लिश ट्रांसलेटर के भी विकल्प मौजूद हैं। इसके अलावा निजी कंपनियों में भी अंग्रेजी के जानकारों के लिए अच्छे स्कोप हैं। एक बार आप इस फील्ड के एक्सपर्ट हो गए, तो फिर आपके पास काम की कमी नहीं रहती।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संभावना
स्कूल से लेकर कालेज व विश्वविद्यालय में शिक्षक के तौर पर काम करने के अवसर तो इसमें हैं ही। इस विषय से बीए ऑनर्स करने के बाद बीएड करके किसी भी सरकारी या गैर सरकारी स्कूल में शिक्षक बन सकते हैं। दूसरी तरफ एमए, एमफिल और पीएचडी करने के बाद किसी भी कालेज में लेक्चरर व प्रोफेसर बनने का अवसर भी आपके पास होता है। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेजी के जानकार के लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों व स्कूलों में अध्यापन के काफी अवसर हैं।
प्रतियोगी परीक्षा में अहम
आजकल किसी भी परीक्षा में अंग्रेजी ज्ञान से संबंधित पेपर अवश्य होते हैं। यदि आईएएस या पीओ जैसी प्रतिष्ठित सेवा की बात करें, तो उसमें भी अंग्रेजी से संबंधित पेपर होते हैं। यदि आप इसमें निर्धारित अंक नहीं लाते हैं, तो आपके शेष पेपरों का मूल्यांकन नहीं होता है। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंग्रेजी का ज्ञान कितना जरूरी है। यदि आपकी इस विषय पर पकड़ है, तो इस विषय को लेकर आप मुख्य परीक्षा भी दे सकते हैं। इंटरव्यू में भी यदि आप अंग्रेजी बोलने और लिखने में सक्षम हैं, तो आपको काफी फायदा हो सकता है।
योग्यता
यदि आप 12वीं किसी भी स्ट्रीम से अंग्रेजी विषय के साथ उत्तीर्ण हैं, तो ग्रेजुएशन से करियर की शुरुआत कर सकते हैं। ग्रेजुएशन के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन और डाक्टरेट की उपाधि अर्जित करने के बाद करियर की ऊंचाइयां छू सकते हैं। इसमें सबसे जरूरी है कि आपकी डिग्री के साथ-साथ आपकी स्किल्स भी विकसित होती जाए। महज डिग्री लेना काफी नहीं, निपुणता जरूरी है।