हरित ऊर्जा से पर्यावरण संरक्षण एवं विकास
शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में पर्यावरण से जुड़े विषय शामिल किए जाएं। ठोस और तरल अपशिष्ट के निपटान के लिए प्रभावी नीति बनाई जाए। शहरों में कचरा प्रबंधन को पर्यावरण प्रकोष्ठ बनाया जाए…
ऊर्जा और जीवन एक-दूसरे के पर्याय हैं। बिना ऊर्जा के विकास गतिविधियां संभव नहीं हैं। जीवाश्म ईंधन की वजह से पर्यावरण प्रदूषण व जलवायु संकट का सामना करना पड़ रहा है। जीवाश्म ईंधन जलाने से वातावरण में ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती हैं। पर्यावरण चुनौतियों से निपटने का एक ही विकल्प है हरित ऊर्जा। हरित ऊर्जा प्राकृतिक स्रोतों से मिलने वाली ऊर्जा है। पर्यावरण संरक्षण, अच्छी प्राणवायु व स्वास्थ्यवर्धक वातावरण के लिए हमें आज हरित प्रौद्योगिकी को अपनाना होगा। हरित प्रौद्योगिकियां ऐसे उत्पाद और सुविधाएं बनाती हैं जो पर्यावरण मैत्री है तथा प्रकृति, पर्यावरण, वातावरण एवं समाज पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालती। हरित प्रौद्योगिकियां नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर पृथ्वी को बचाने का काम करती हैं। हरित ऊर्जा हमें सूर्य-प्रकाश, पवन, वर्षा, ज्वार, पौधों एवं भूतापीय गर्मी से प्राप्त होती है। पर्यावरण सुरक्षा एवं प्रदेश की नैसर्गिक सुंदरता को बिना क्षति पहुंचाए राजस्व लाभ, रोजगार प्राप्त करने हेतु प्रदेश सरकार ने क्रांतिकारी एवं साहसिक कदम उठाते हुए 31 मार्च 2026 तक हिमाचल को देश का प्रथम हरित ऊर्जा राज्य (ग्रीन एनर्जी स्टेट) विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
इस सकारात्मक सोच से जहां प्रदेश वासियों को स्वच्छ वायु, स्वास्थवर्धक वातावरण, रोजगार मिलेगा, वहीं प्रदेश को राजस्व लाभ एवं ऊर्जा संकट से निदान मिलेगा। प्रदेश सरकार सौर ऊर्जा, जल विद्युत और हाइड्रोजन का दोहन कर प्रदेश को सशक्त हरित ऊर्जा राज्य बनाने हेतु वचनबद्ध है। सौर ऊर्जा भारी मात्रा में उपलब्ध नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत है। एक घंटे की सूर्य रोशनी में दुनिया के लिए एक वर्ष की ऊर्जा समाहित है। सूर्य प्रकाश को फोटोवोल्टिक सेल से सीधे विद्युत में परिवर्तित किया जा सकता है। भारत में मार्च 2024 तक 81.81 गीगावॉट सौर ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता प्राप्त की है। प्रदेश सरकार सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हिमाचल की भागीदारी बढ़ाकर 12 प्रतिशत तक पहुंचाना चाहती है। प्रदेश भर में 500 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाएं प्रस्तावित हैं। ऊना जिले के पेखूबेला में 32 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना तैयार की गई है तथा अघलौर में 10 मेगावाट और भंजाल में 5 मेगावाट क्षमता वाली परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। हिमाचल प्रदेश गांव में बसता है तथा गांवों में ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लिए सौर ऊर्जा बेहतरीन विकल्प है। सौर लालटेन, सौर स्ट्रीट लाईट, ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए माइक्रो-मिनी ग्रिड ने गांवों में नए उजाले की शुरुआत की है। अभी हाल ही में कुल्लू के मलाणा में बादल फटने से ऐसी आपदा बरसी कि पावर प्रोजैक्ट की डैम साइट बर्बाद हो गई। मलाणा के लोग अंधेरे में बस रहे हैं। ऐसे में मेक माई ट्रिप फाउंडेशन ने मलाणा को प्रकाशमय करने के लिए 500 सोलर लाइट्स प्रदान की हैं। प्रशासन द्वारा प्रति घर एक-एक सोलर लाइट दी जा रही है। सोलर लाइट सिस्टम से तीन बल्ब जलेंगे तथा फोन चार्ज करने की भी सुविधा है। राज्य की कुल चिन्हित जल विद्युत क्षमता लगभग 27 हजार 436 मेगावाट है। दोहन योग्य विद्युत क्षमता 23 हजार 750 मेगावाट है। वर्तमान में 10 हजार 781.88 मेगावाट का दोहन किया जा चुका है।
हरित ऊर्जा के दोहन में ग्रीन हाइड्रोजन विशेष है। पानी का इलेक्ट्रोलिसिस कर हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को पृथक कर ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाता है। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से जो बिजली प्राप्त होती है, उससे इलेक्ट्रोलिसिस किया जाता है। हरित हाइड्रोजन एक स्वच्छ और टिकाऊ ईंधन है। हाइड्रोजन का हरित रूप पर्यावरण हितैषी है, क्योंकि कार्बन उत्सर्जन शून्य है। औद्योगिक क्षेत्र नालागढ़ में आंचल इंडिया कंपनी के सहयोग से ग्रीन हाइड्रोजन गैस के उत्पादन के लिए एक मेगावाट का संयंत्र उद्योग लगाया गया है, जो कि प्रदेश का पहला ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट है। प्रदेश में ग्रीन इलेक्ट्रिल व्हीकल पॉलिसी लागू की गई है। परिवहन विभाग में इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग किया जा रहा है। बायो एनर्जी की क्षमता का दोहन करने, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को नियंत्रित करने में इलेक्ट्रिक वाहन की अहम भूमिका है। पूरे भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 10000 से अधिक पब्लिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित किया जा चुके हैं। प्रदेश सरकार प्रदेश में प्रस्तावित चार्जिंग स्टेशनों के लिए मुफ्त जमीन व बिजली उपलब्ध करवा रही है। गौरतलब है कि माननीय मुख्यमंत्री स्वयं इलेक्ट्रिक व्हीकल का प्रयोग करते हैं जिससे प्रदेश के युवा, नौकरीपेशा व आमजन इलेक्ट्रिक व्हीकल के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। ई-वाहन ईंधन के रूप में प्रदान की गई बिजली का 62 प्रतिशत हिस्सा उपयोग में लाते हैं जबकि पेट्रोल संचालित वाहनों में पेट्रोल से सिर्फ 17 से 21 प्रतिशत ऊर्जा ही ईंधन में तब्दील होती है। प्रदेश को हरित राज्य बनाने हेतु राष्ट्रीय और राजमार्गों में 6 ग्रीन कॉरिडोर विकसित किया जा रहे हैं। यह ग्रीन कॉरिडोर जहां एक ओर प्रदेश की खूबसूरती में इजाफा करेंगे, सफर को आनंदमय बनाएंगे, वहीं दूसरी ओर पर्यटकों को आकर्षित कर राजस्व वृद्धि में सहायक होंगे। प्रदेश सरकार को चाहिए कि हरित व स्वच्छ हिमाचल के इस मिशन में नवाचार को सम्मिलित करें।
सोलन के वैज्ञानिकों ने क्लोरेला पाइरेनोइड़ोसा नाम के शैवाल का प्रयोग कर बायो वेस्ट से बायोडीजल बनाया है जो कि सस्ता एवं ईको फ्रेंडली है। एथेनॉल संचालित वाहनों में प्रदूषण शून्य रहता है। शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में पर्यावरण से जुड़े विषय शामिल किए जाएं। ठोस और तरल अपशिष्ट के निपटान के लिए प्रभावी नीति बनाई जाए। शहरों में कचरा प्रबंधन को पर्यावरण प्रकोष्ठ बनाया जाए। ईको टूरिज्म, जैविक खेती, पारिस्थितिकी, हरित प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दिया जाए। सरकार, प्रशासन, स्थानीय समुदायों व सर्व सहयोग से प्रदेश के दो औद्योगिक शहरों परवाणू और काला अंब को प्रतिष्ठित स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2023 राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने पर हर प्रदेशवासी को साधुवाद। इस हरित आंदोलन में हर प्रदेशवासी, शैक्षणिक संस्थानों, यूथ क्लबों, महिला मंडलों, पंचायतों, उद्योगों को सहयोग देना चाहिए। अंत में हमें सीनेटर बॉब ब्राउन के कथन को याद रखना होगा, ‘भविष्य या तो हरा-भरा होगा या बिल्कुल नहीं होगा।’ ऊर्जा क्षेत्र में सजग होकर कार्य करने की सख्त जरूरत है।
अदित कंसल
शिक्षाविद
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