क्लाइमेट फाइनांस में दिखा भारत का दम, अमरीका-यूके जैसे देश पीछे छोड़े
इंडिया 2022 में सबसे ज्यादा फंड देने वाला देश बना, अमरीका-यूके जैसे देश पीछे छोड़े
दिव्य हिमाचल ब्यूरो — नई दिल्ली
यूनाइटेड किंगडम स्थित थिंक टैंक ओडीआई और ज्यूरिख क्लाइमेट रेजिलिएंस अलायंस की तरफ से जारी किए गए एक रिपोर्ट के अनुसार भारत का जलवायु वित्त कई विकसित देशों के मुकाबले ज्यादा है। एक नए विश्लेषण के अनुसार, भारत ने 2022 में बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) के माध्यम से जलवायु वित्त में 1.28 बिलियन अमरीकी डॉलर का योगदान दिया है। ये आंकड़ा कई विकसित देशों के योगदान से कहीं ज्यादा है। यूके स्थित थिंक टैंक ओडीआई और ज्यूरिख क्लाइमेट रेजिलिएंस एलायंस द्वारा आयोजित विश्लेषण, चीन और सऊदी अरब जैसे विकासशील देशों को शामिल करने के लिए जलवायु वित्त के लिए दाता आधार को व्यापक बनाने के लिए कुछ विकसित देशों द्वारा नए सिरे से दबाव डालने के बीच आया है।
रिपोर्ट से पता चलता है कि केवल 12 विकसित देशों ने 2022 में अंतरराष्ट्रीय जलवायु वित्त में अपना उचित हिस्सा प्रदान किया। ये देश नॉर्वे, फ्रांस, लक्जमबर्ग, जर्मनी, स्वीडन, डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, जापान, नीदरलैंड, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम और फिनलैंड हैं। रिसचर्स ने दावा किया कि जलवायु वित्त में महत्त्वपूर्ण अंतर मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमरीका अपना उचित योगदान देने में विफल रहा है। वहीं ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, कनाडा और यूनाइटेड किंगडम ने भी इस संबंध में अपेक्षाकृत खराब प्रदर्शन किया। रिपोर्ट के अनुसार भारत ने 2022 में बहुपक्षीय विकास बैंकों के माध्यम से जलवायु वित्त में 1.28 बिलियन अमरीकी डॉलर का योगदान दिया, जो कई विकसित देशों के योगदान से अधिक है। ये ग्रीस (0.23 बिलियन अमरीकी डॉलर), पुर्तगाल (0.23 बिलियन अमरीकी डॉलर), आयरलैंड (0.3 बिलियन अमरीकी डॉलर) न्यूजीलैंड (यूएसडी 0.27 बिलियन) जैसे कुछ विकसित देशों द्वारा दिए गए योगदान से कहीं अधिक है।
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