आज आ जाएगी सैलरी, 10 को मिलेगी पेंशन

By: Sep 4th, 2024 11:01 pm

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, लोन पर 36 करोड़ ब्याज बचाने के लिए रोकना पड़ा भुगतान

राजेश मंढोत्रा — शिमला

हिमाचल के सरकारी कर्मचारियों को वेतन का भुगतान पांच सितंबर, गुरुवार को कर दिया जाएगा, जबकि पेंशनरों को पेंशन के लिए 10 सितंबर तक का इंतजार करना होगा। राज्य सरकार को लोन पर दिए जाने वाले ब्याज को बचाने के लिए सैलरी रोकने का फैसला लेना पड़ा है। यह जानकारी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर द्वारा प्वाइंट ऑफ ऑर्डर के तहत उठाए गए मामले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार खर्च को प्राप्तियां के साथ मैपिंग करके वित्तीय संसाधनों का उपयोग समझदारी से करना चाहती है। इस तरह से प्रबंधन करने से राज्य सरकार एडवांस लोन पर ब्याज की राशि बचाने की कोशिश कर रही है। यह हर महीने करीब तीन करोड़ बनती है और साल भर में 36 करोड़ की बचत इस तरह से हो जाएगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि सैलरी और पेंशन का यह शेड्यूल इसलिए बनाया गया है, क्योंकि राज्य में पहली तारीख को सैलरी-पेंशन दी जाती है, जबकि भारत सरकार से हमें छह तारीख को रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट में 520 करोड़ रुपए और 10 तारीख को केंद्र से सेंट्रल शेयर टैक्स में 740 करोड़ रुपए मिलते है। इस वजह से हमें पांच दिन के लिए ऋण लेना पड़ता है। हर महीने इसका 7.50 प्रतिशत ब्याज चुकाने पर तीन करोड़ ब्याज देना पड़ता है। सरकार के फैसले से ब्याज का सालाना 36 करोड़ का अनावश्यक बोझ कम होगा। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों की सैलरी के लिए हर महीने 1200 करोड़ और पेंशन के लिए 800 करोड़ रुपए चाहिए होते हैं।

यह नई व्यवस्था राज्य सरकार के बोर्ड और निगमों के लिए नहीं होगी, जो कि अपने संसाधनों का आकलन करके निर्णय खुद ले सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार से प्राप्त अनुमति के अनुसार हिमाचल के पास बाजार से ऋण उठाने की लिमिट 2317 करोड़ ही बची है, जिसे अगले चार महीनों में दिसंबर महीने तक इस्तेमाल करना होगा। सीएम ने कहा कि 28 तारीख को कोषागार की स्थिति की समीक्षा की जाएगी और फिर अगले महीने पर फैसला होगा। हालांकि सदन से बाहर मीडिया ब्रीफिंग में मुख्यमंत्री ने यह आश्वासन भी दिया कि अगले महीने से पहली तारीख को ही सैलरी और पेंशन देने की कोशिश राज्य सरकार करेगी। अपने जवाब में मुख्यमंत्री ने पूर्व भाजपा सरकार के फैसलों को भी इसके लिए जिम्मेदार बताया। उन्होंने पूछा कि हमारी सरकार के दो साल पूरे होने में अभी तीन महीने बाकी हैं, लेकिन ऐसा क्या कारण था कि पूर्व सरकार में 2018-19, 2019-20 और 2020-21 में रिवेन्यू सरप्लस बजट होने के बावजूद वेतन और पेंशन के एरियर के साथ महंगाई भत्ते को क्यों डेफर किया गया। सीएम ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने चुनावी वर्ष में न सिर्फ बिजली-पानी फ्री किए, बल्कि नए दफ्तर खोलकर राज्य पर 2200 करोड़ का अतिरिक्त बोझ डाल दिया। बसों में महिलाओं का बस किराया आधा कर दिया। उनकी सरकार ने आर्थिक संकट को देखते हुए शुरू से ही अर्थव्यवस्था में सुधार के फैसले लिए हैं। इस कारण 20 फीसदी रिकवरी अर्थव्यवस्था में हो गई है। आगे भी वित्तीय अनुशासन का पालन करते हुए सरकार बढ़ेगी। हालांकि मुख्यमंत्री के जवाब से नाखुश विपक्षी दल भाजपा के विधायकों ने सदन से बाहर जाकर नारेबाजी की और कर्मचारियों तथा सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया।

सैलरी पर जयराम लाए थे प्वाइंट ऑफ ऑर्डर

विधानसभा में प्रश्नकाल के बाद प्वाइंट ऑफ ऑर्डर के तहत नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने बुधवार को यह मामला उठाया। उन्होंने कहा कि चार तारीख हो गई है, लेकिन न कर्मचारियों को सैलरी मिली है, न पेंशनरों को पेंशन आई है। विपक्ष ने इस गंभीर मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था, लेकिन विधानसभा ने कांग्रेस विधायकों के नोटिस पर नियम 130 की चर्चा को मंजूरी दी थी। हालांकि यह चर्चा बुधवार को भी नहीं लगाई गई। जयराम ने कहा कि प्रदेश में ये हालात कैसे बने, इस राज्य सरकार को जवाब देना चाहिए। मुख्यमंत्री आर्थिक स्थिति पर सुबह कुछ और कहते हैं और शाम को कुछ और। प्रदेश यह जानना चाहता है कि यह कैसा आत्मनिर्भर हिमाचल है, जहां वेतन ही बंद हो गया। जयराम ठाकुर ने कहा कि कब तक मुझे दोष देते रहेंगे? सरकार को दो साल हो गए। जिम्मेदारी आपकी है। सरकारी सिस्टम का ऐसा हाल कभी नहीं था।

सैलरी, पेंशन रुकने पर राजभवन ने भी मांगा जवाब

शिमला। हिमाचल में सरकारी कर्मचारी और पेंशनरों का वेतन और पेंशन रुकने के मामले पर राजभवन ने भी हस्तक्षेप किया है। राज्यपाल के सचिव ने मुख्य सचिव को पत्र भेजकर यह पूछा है कि ऐसी स्थिति कैसे आई, इसके बारे में राजभवन को भी जानकारी दी जाए। साथ ही इस स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार की क्या योजना है, यह भी जानकारी चाही है। सरकारी कर्मचारियों के साथ-साथ विधानसभा सत्र में हिस्सा ले रहे मंत्रियों और
विधायकों को भी अभी तक वेतन नहीं मिला है।


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