कंपनी की मनमानी, उजाड़ डाली हरियाली
वन विभाग ने पौने 54 लाख का जुर्माना ठोंगा, फिर भी चिन्हित स्थान पर पत्थर-मिट्टी न डाल नाले में फेंका जा रहा मलबा
मोहिंदर नेगी—रिकांगपिओ
पर्यावरण जैसे महत्त्वपूर्ण विषय को तिलांजलि देते हुए किन्नौर जिला में इन दिनों एक निजी कंपनी मात्र अपने लाभ के लिए सरकार के सभी नियम कायदे कानूनों की सरेआम धज्जियां उड़ा रही है। फोरेस्ट डिपार्टमेंट द्वारा सरकारी भूमि पर मलबा फेंके जानने को लेकर 53 लाख 70 हजार 349 रुपए का जुर्माना लगाए जाने के बाद भी कंपनी की मनमानी जारी है। हैरानी इस बात की भी जताई जा रही है कि पर्यावरण जैसे महत्त्वपूर्ण विषय पर बनी एजेंसी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड इस मामले पर गंभीर क्यों नहीं है। हम बात कर रहे हैं किन्नौर जिला के मीरू पंचायत क्षेत्र के अधीन यूला नाले पर निर्माणाधीन 21 मेगावाट क्षमता वाली कंपनी की। बता दें कि बीते कुछ महीनों से कंपनी द्वारा परियोजना निर्माण कार्य स्थल तक जाने के लिए एक सडक़ का निर्माण कर रही है। सडक़ निर्माण कार्य के दौरान खुदाई से निकलने वाले मिट्टी व पथरों को चिन्हित स्थान पर डंप न कर सीधे नाले में फेंका गया है। इससे असंख्य छोटे-बड़े पेड़ पौधे सहित ग्रामीणों के चरागाह को भारी नुकसान पहुंचा है।
अनियंत्रित ढंग से फेंके जा रहे मिट्टी व पत्थरों से उड़ रहे धूल मिट्टी से जहां पर्यावरण को सीधा नुकसान पहुंच रहा है वहीं, स्थानीय ग्रामीणों की नकदी फसलों को भी नुकसान हो रहा है। हालत इतने खराब हो रहे है कि यहां के कई ग्रामीण बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं। इतना ही नहीं, कंपनी प्रबंधन की लापरवाही का सब से बड़ा खामियाजा आने वाले दिनों में तब देखने को मिलेगा, जब कंपनी द्वारा अनाधिकृत तौर से नाले में फेंका गया लाखों टन मलबा कभी भी बाढ़ का रूप लेकर तटवर्तीय क्षेत्रों में तबाही मचा सकता है। इस जद में भारतीय सेना का चोलिंग स्थित बेसकैंप सहित कई ग्रामीणों के मलकियत भूमि भी आ सकता है। उधर, इस मामले पर वन विभाग के रेंज ऑफिसर ने बताया कि कंपनी द्वारा चिन्हित स्थान से बाहर मिट्टी व पत्थरों के फेंके जाने पर विभाग द्वारा अब तक 5370349 रुपए का डैमेज कटा गया है। —एचडीएम
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