कंपनी पर सरकारी आदेश का नहीं हुआ असर
मीरू संपर्क सडक़ मार्ग के निर्माण का मलबा नदी-नालों में फेंकने सिलसिला जारी, बहुमूल्य वन सपंदा हो रही नष्ट
दिव्य हिमाचल ब्यूरो-रिकांगपिओ
किन्नौर जिला के मीरू सहित यूला पंचायत क्षेत्र में निर्माणाधीन 20 मेगावाट क्षमता वाली विद्युत परियोजना निर्माण के शुरुआती दौरान में ही परियोजना प्रबंधन रोरा नॉन कैंबेंशनल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा सरकारी आदेशों की अवहेलना किए जाने के मामले बदस्तूर जारी है। बता दे कि मीरु संपर्क सडक़ मार्ग से पावर हाउस तक जाने के लिए कंपनी द्वारा एक दो किलो मीटर लंबा सडक़ का निर्माण किया जा रहा है। इस दौरान कंपनी द्वारा हेवी ब्लास्टिंग का प्रयोग करते हुए सडक़ से निकलने वाले लाखों टन मिट्टी व पत्थरों को सीधे नदी नालों में फेंका जा रहा है। इस दौरान छोटे बड़े कई दर्जनों पेड़ पौधे सहित असंख्य जंगली जड़ी बूटियां भी नष्ट हो रहे है।
हैरानी की बात है कि इतने बड़े पैमाने पर गैरजिम्मेदाराना तरीके से हो रहे कार्य पर पूर्णता रोक लगाने के बजाए वन विभाग डेमेज रिपोर्ट काट कर खाना पूर्ति कर रही है। विभाग की इसी ढिलाई का फायदा उठा कर कंपनी मन माफिक तरीके से काम कर रही है। आप को बता दे कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा कुछ एक कड़े शर्तों के साथ 17 अगस्त 2012 को एफसीए क्लीरियंस जारी किया है। साथ ही मंत्रालय ने मुख्य प्रदान सचिव हिमाचल सरकार सहित प्रधान मुख्य वन संरक्षक हिमाचल प्रदेश ए फॉरेस्ट ऑफिसर किन्नौर तथा संबंधित कंपनी को भी पत्र लिखा है। जिस में साफ शब्दों में बताया गया है कि खुदाई से निकलने वाले मलबे को पहाड़ी ढलान से नीचे नदी नालों में बिल्कुल भी न गिराया जाए। यदि कंपनी इन शर्तों की अवहेलना करती है तो परियोजना स्वीकृति को रद कर सकता है। हैरानी की बात है कि ऐसे कड़े आदेशों के बाबजूद ग्राउंड लेवल पर सरकारी आदेशों की दाजिया उड़ रही है।
कंपनी द्वारा सडक़ निर्माण के दौरान नदी नालों में मिट्टी व पत्थरों को फेंके जाने के मामले पर कंपनी के विरुद्ध अब तक 50 लाख रुपए से अधीन का डेमेज बिल बना कर डिविजन को भेजा गया है।
मनमोहन नेगी, रेंज ऑफिसर, कल्पा
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