कैसा रहेगा वर्ष 2025, क्या लिखी जाएगी उपलब्धियों और बदलाव की गाथा, जानने के लिए पढ़ें यह खबर
नए साल का आगमन हर किसी के जीवन में नई उम्मीदें, सपने और संभावनाओं का संदेश लेकर आता है। जिन लोगों की ज्योतिष में आस्था होती है, वे यह जानने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हैं कि ग्रह-नक्षत्रों की चाल उनकी जिंदगी में कौनसे बदलाव लाएगी। उनकी लव लाइफ, पारिवारिक लाइफ, करियर, आर्थिक स्थिति और स्वास्थ्य नए साल में कैसा रहेगा? नया साल जिंदगी में कौनसी उपलब्धियां लेकर आएगा और कहां पर उन्हें सतर्क रहना होगा? ऐसे सवाल मन में उठते रहते हैं। 2025 की शुरुआत ज्योतिषीय दृष्टिकोण से बेहद खास होने वाली है, क्योंकि यह वर्ष महत्वपूर्ण खगोलीय घटनाओं और ग्रह-गोचर के कारण जीवन के हर पहलू को प्रभावित करेगा। ज्योतिष की दृष्टि से 2025 संभावनाओं और परिवर्तनों का वर्ष है। नए साल का शुभारंभ उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में और मकर लग्न में हो रहा है। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के स्वामी सूर्य हैं, जो शक्ति, अनुशासन और स्थिरता के प्रतीक हैं। मकर लग्न, जो शनि के अधीन है, कर्मप्रधानता और योजनाबद्ध प्रयासों को दर्शाता है। इस योग से संकेत मिलता है कि यह वर्ष स्थिरता, जिम्मेदारियों और नए लक्ष्यों को साधने का अवसर प्रदान करेगा।
दो सूर्य ग्रहण भी लगेंगे
29 मार्च 2025 को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा। यह ग्रहण दुनियाभर में यूरोप, एशिया के उत्तरी इलाकों, अफ्रीका के उत्तरी व पश्चिमी इलाकों समेत नॉर्थ अमेरिका, साउथ अमेरिका के उत्तरी हिस्सों, अटलांटिक व आर्कटिक क्षेत्रों में दिखाई देगा। यह पूर्ण ग्रहण दोपहर 14.21 बजे से शाम 18.14 बजे तक रहेगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका कोई धार्मिक प्रभाव नहीं माना जाएगा। साथ ही इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। इस दौरान मीन राशि और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में ग्रहों का विशेष संयोग बनेगा। इस दिन मीन राशि में सूर्य और राहु के अतिरिक्त शुक्र, बुध और चंद्रमा उपस्थित होंगे।
इससे द्वादश भाव में शनि विराजमान होंगे। इससे तीसरे भाव में वृषभ राशि में बृहस्पति, चौथे भाव में मिथुन राशि में मंगल और सप्तम भाव में कन्या राशि में केतु स्थित होंगे। पांच ग्रहों का प्रभाव एक साथ होने के कारण इस ग्रहण का राशियों पर बहुत गहरा प्रभाव देखने को मिल सकता है। 21 सितंबर 2025 को साल का दूसरा सूर्य ग्रहण लगेगा। यह ग्रहण रात्रि में लगेगा, जो आश्विन मास की कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन रात 22.59 बजे से शुरू होकर 22 सितंबर की सुबह 03.23 बजे तक प्रभावी रहेगा। यह ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए यहां इसका धार्मिक प्रभाव भी नहीं होगा और न ही इसका सूतक काल मान्य होगा। साल का दूसरा ग्रहण कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में आकार लेगा। इस दौरान सूर्य, चंद्रमा और बुध के साथ कन्या राशि में स्थित होंगे और उन पर मीन राशि में बैठे शनि देव की पूर्ण दृष्टि रहेगी। इससे दूसरे भाव में तुला राशि में मंगल होंगे, छठे भाव में कुंभ राशि में राहु, दशम भाव में बृहस्पति और द्वादश भाव में शुक्र और केतु की युति होगी।
कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए यह सूर्य ग्रहण विशेष रूप से प्रभावशाली हो सकता है। इस लिहाज से देखा जाए तो साल 2025 में ग्रहों का खेल विभिन्न राशियों के जीवन में काफी बड़ा बदलाव लेकर आने वाला है। यह ग्रह राशि परिवर्तन करके न केवल व्यक्तिगत जीवन बल्कि सामूहिक चेतना और वैश्विक परिदृश्य पर भी गहरा प्रभाव डालेंगे और ज्योतिष की दुनिया में हलचल मचाते रहेंगे।
चार बड़े ग्रहों का राशि परिवर्तन
2025 में चार बड़े ग्रह राशि परिवर्तन करेंगे। यह ग्रह आमतौर पर एक राशि में लंबे समय तक रहते हैं। साल 2025 की शुरुआत में 29 मार्च 2025 को शनि अपना राशि परिवर्तन करेंगे और वह कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में चले जाएंगे। शनि की राशि परिवर्तन के साथ ही मकर राशि पर साढ़ेसाती समाप्त हो जाएगी और कर्क राशि तथा वृश्चिक राशि पर शनि की ढैया भी खत्म हो जाएगी। मेष राशि पर साढ़ेसाती और सिंह तथा धनु राशि पर शनि की ढैया शुरू हो जाएगी। इसी तरह 2025 में ही देवगुरु बृहस्पति भी राशि परिवर्तन करेंगे और वह 14 मई को रात 10.36 पर शुक्र की वृषभ राशि से निकलकर बुद्ध की मिथुन राशि में चले जाएंगे। देवगुरु बृहस्पति के राशि परिवर्तन के बाद 18 मई को राहु और केतु भी 18 महीने बाद अपना राशि परिवर्तन करेंगे। राहु मीन राशि से निकलकर कुंभ राशि में आ जाएंगे, जबकि केतु कन्या राशि से निकलकर सिंह राशि में आ जाएंगे। चंद्रमा तो हर अढ़ाई दिन के बाद राशि बदल लेते हैं। सूर्य हर महीने राशि बदलते हैं। मंगल 45 दिन में राशि बदलते हैं। इसी तरह बुध और शुक्र भी एक महीने के अंतराल में ही राशि बदल लेते हैं। 2025 में शनिदेव 13 जुलाई से लेकर 28 नवंबर तक शनि देव वक्री अवस्था में रहेंगे। 2025 में दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण लगेंगे। 14 मार्च और 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण लगेगा, जबकि 29 मार्च और 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण लगेगा।
दो चंद्र ग्रहण
साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को फाल्गुन मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन लगेगा। यह ग्रहण भारतीय समयानुसार सुबह 10.41 बजे से दोपहर 14.18 बजे तक रहेगा। यह भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इस ग्रहण का धार्मिक दृष्टि से भारत में कोई महत्व नहीं होगा। खगोलीय दृष्टि से यह चंद्र ग्रहण सिंह राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लगेगा, इसलिए सिंह राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए यह ग्रहण विशेष रूप से प्रभावशाली रहने वाला है। चंद्र ग्रहण के दिन चंद्रमा से सप्तम भाव में सूर्य और शनि विराजमान रहेंगे और चंद्रमा को पूर्ण सप्तम दृष्टि से देखेंगे। ऐसे में इसका प्रभाव और भी गहरा देखने को मिलेगा। इस दिन चंद्रमा से दूसरे भाव में केतु, सप्तम भाव में सूर्य और शनि, अष्टम भाव में राहु, बुध और शुक्र, दशम भाव में बृहस्पति और एकादश भाव में मंगल विराजमान होंगे। दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को भाद्रपद मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन लगेगा। यह रात्रि 21.57 बजे शुरू होकर 1.26 बजे तक प्रभावी रहेगा और भारत समेत संपूर्ण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, न्यूजीलैंड, पश्चिमी और उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के पूर्वी क्षेत्रों में दिखाई देगा। यह चंद्र ग्रहण भारत में भी नजर आएगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य होगा और धार्मिक दृष्टि से इसका महत्व होगा। इस ग्रहण का सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12.57 बजे से आरंभ होगा और ग्रहण की समाप्ति तक रहेगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लगेगा, जिसमें चंद्रमा के साथ राहु और सप्तम भाव में सूर्य, केतु और बुध विराजमान होंगे। इस संयोजन का कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्मे व्यक्तियों पर विशेष प्रभाव पड़ सकता है। इन जातकों को सावधानी बरतने की आवश्यकता रहेगी।
नए संवत के राजा होंगे सूर्य
30 मार्च 2025 रविवार से नया विक्रमी संवत 2082 भी शुरू होगा और इस संबंध के राजा सूर्य देव होंगे। इस दिन चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में होगा, जिसके स्वामी चंद्रमा हैं। अत: विक्रमी संवत 2082 के मंत्री चंद्रदेव होंगे। नए संवत के राजा सूर्य के होने से यह संवत राजकीय मामलों में सशक्त नेतृत्व और निर्णायकता का समय होगा। शासकों में दृढ़ नीतियां और आत्मविश्वास रहेगा। व्यापार और उद्योग में सुधार होगा। समाज में ऊंचे ओहदों पर बैठे लोगों के लिए यह समय विशेष लाभदायक रहेगा। जनमानस में आत्मविश्वास और ऊर्जा का संचार होगा। स्वास्थ्य संबंधी मामलों में जागरूकता बढ़ेगी। धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में तेजी आएगी। सूर्य का प्रभाव समाज में नीतिगत सुधार और अनुशासन लेकर आएगा। चंद्रमा का मंत्री होना संवत को भावनात्मक और सामाजिक दृष्टि से संतुलित करेगा। आम जनता की भलाई और कल्याणकारी नीतियां प्रमुख रहेंगी। कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी। जल प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सुधार होगा। चंद्रमा के प्रभाव से मानसिक शांति और सामूहिक सद्भाव में बढ़ोतरी होगी। सूर्य और चंद्रमा के संयोजन से शासन में सख्ती और संवेदनशीलता का संतुलन रहेगा। नीतिगत सुधारों पर जोर होगा। भारत के वैश्विक कूटनीतिक और आर्थिक प्रभाव में वृद्धि होगी।
-गुरमीत बेदी
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