रिश्तों में समझ का अभाव

By: Dec 7th, 2024 12:15 am

राजयोगी ब्रह्माकुमार निकुंज जी
विश्व की बहुसंख्यक आबादी के अंदर आज सबसे बड़ी फरियाद यह है कि हमें कोई समझता नहीं या हमारी बातों को या हमारे मत को कोई समझता नहीं। यह बहुत ही आश्चर्य की बात है कि संबंधों में आपसी समझ की कमी के कारण आज परिवार के परिवार बिखर रहे हैं और साथ-साथ लाखों की तादाद में मनुष्य आत्माएं ‘खुदकुशी’ जैसा कठोर कदम उठा रही हैं। अत्यंत पीड़ा देने वाली यह सब बातें हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि क्या किसीको समझना इतना भी कठिन कार्य है? बरसों से चली आ रही हमारे देश की संयुक्त परिवार प्रणाली की परंपरा आपसी समझ की मजबूत नींव के ऊपर ही तो टिकी रही है, फिर अचानक से ऐसा क्या हो गया जो इतनी मजबूत नींव कमजोर पड़ गई। यदि सोचने बैठें तो कारण हजार निकलेंगे परंतु सौ बात की एक बात तो यह है कि दूसरों को समझना यह एक ऐसा कौशल है जो हममे से बहुत कम लोगों के पास है, क्योंकि समझना यह तो दो तरफा प्रक्रिया है, किंतु दुर्भाग्यवश हम सभी तो केवल एक तरफा प्रक्रिया के ही आदि हैं, मतलब यह है

की हममें से अधिकांश लोग वही बात को समझते हैं जिसे सुनना हम पसंद करते हैं। मसलन, किसी पारिवारिक कार्यक्रम या किसी त्योहार समारोह के दौरान कोई चर्चा करते समय हमें कभी-कभी किसीके विचार, स्वभाव, चरित्र या उनकी जीवन शैली के प्रति वैमनस्यभाव पैदा हो जाता है, किंतु गौर से यदि सोचा जाए तो ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे व्यर्थ अभिमान के कारण उस व्यक्ति की भेंट में हमें अपने विचार या अपना चरित्र सर्वश्रेष्ठ महसूस होता है, जिसके परिणामस्वरूप हमारी दृष्टि धुंधला जाती है और हमारा दृष्टिकोण विकृत हो जाता है। अत: हमें यह अच्छी तरह से जान लेना चाहिए कि संबंधों में आपसी समझ की कमी का मूल कारण यदि कुछ है तो वह स्वयं हमारा पूर्वाग्रही एवं पक्षपाती स्वभाव और हमारी इच्छाधारी सोच शैली, जो हमें दूसरों के दृष्टिकोण को यथार्थ रीती से समझने से रोकते हैं और हमारे संबंधों में टकराव पैदा करते हंै।

समझ और गलतफहमी के बीच में एक बहुत ही पतली रेखा होती है जिसको भापने के लिए एक तेज बुद्धि की जरूरत होती है। जिस व्यक्ति के पास समझ नहीं होती वह नासमझी का शिकार हो जाता है और जिसके पास विपरीत समझ होती है, वह गलतफहमी का शिकार बन जाता है। अत: हमें यह सदैव याद रखना है कि नासमझी से ज्यादा गलतफहमी हानिकारक होती है। तभी तो विद्वान एवं गुरुओं ने यह कहा है कि यदि किसीके जीवन में स्वास्थ्य नहीं है और वह मन से प्रसन्न नहीं है तो उसका मूल कारण गलतफहमी है न कि नासमझी। गलतफहमी एक ऐसी बीमारी है, जिसका कोई भी इलाज नहीं है।
जिस व्यक्ति के अंदर इसका विकास होता जाता है, वह उस व्यक्ति की साख को मार देती है और समाज में उसे अछूत बना देती है। तभी तो हमने देखा है कि कैसे एक छोटी सी गलतफहमी बरसों के बने हुए रिश्तों को यूं तबाह कर देती है जो देखने वाले भी बड़े अचंभित हो जाते हैं कि यह क्या हो गया? इस प्रकार गलतफहमी हमारे जीवन में आने वाली अनगिनत समस्याओं की श्रृंखला का एक संकेत है जिसे समय पर समझना अति आवश्यक है। अत: एक बेहतर दुनिया में बेहतर जीवन जीने के लिए यह अनिवार्य है कि हम बेहतर समझ को धारण करें।

इसके लिए हमें सर्व प्रथम सभी से सौहार्दपूर्ण, प्रिय, सुलभ और सरल होना पड़ेगा ताकि उन्हें हमारे साथ व्यवहार करने में कोई भी प्रकार का संकोच महसूस न हो । याद रखें! यदि हमारी अंतरात्मा साफ है और अभिव्यक्ति विनम्र और सटीक है, तो फिर किसी भी प्रकार की गलतफहमी के लिए हमारे जीवन में लेशमात्र गुंजाईश भी बाकी नहीं रहेगी और हम बड़ी सहजता से सौहार्दपूर्ण संबंधो के अपने लक्ष्य को हासिल कर पाने में सफल होंगे।


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